शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक प्रदीपजी पाल की प्रस्तावित स्पीच 


आर्डनेन्स फैक्ट्ररी कर्मचारी संघ द्वारा गुरूवार, 14 अप्रैल 2022 को प्रातः 8 से 1 बजे तक 
कल्याण मण्डप, अर्मापुर इस्टेट, कालपी रोड, कानपुर, उत्तर प्रदेश में आयोजित 
संविधान निर्माता डा. भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती समारोह के पावन अवसर पर 
आप सभी का हार्दिक स्वागत है। 
प्रिय साथियों,
    इस महत्वपूर्ण डा. भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती समारोह में मुझे पाल वल्र्ड टाइम्स न्यूज चैनल के एडिटर इन चीफ की हैसियत से शामिल होने का मौका दिया गया उसके लिए मैं आयोजकों को आभारी हूं। 
    संविधान निर्माता डा. अम्बेडर के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 की वर्तमान में यूक्रेन व रूस के बीच चल रहे युद्ध के कारण तृतीय विश्व युद्ध की संभावना बनी है। इस वैश्विक समस्या का समाधान भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 में छिपा है। इस अनुच्छेद के अनुसार (क) अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि के लिए भारत प्रयास करेगा, (ख) राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण 
संबंधों को बनाए रखने का भारत प्रयास करेगा, (ग) संगठित लोगों के एक दूसरे से व्यवहारों में अंतरराष्ट्रीय 
विधि और संधि-बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाने का भारत प्रयास करेगा और (घ) अंतरराष्ट्रीय विवादों के 
माध्यस्थ द्वारा निपटारे के लिए प्रोत्साहन देने का, प्रयास करेगा। 
    मेरी 66 वर्ष की आयु का अनुभव एक लाइन में यह है कि प्रत्येक परिवार में समृद्धि लाने के लिए वोटरशिप कानून को शीघ्र बनाना तथा शान्ति के विश्व सरकार का समय रहते गठन करना चाहिए। मानव जाति को नई विश्व व्यवस्था या विश्व युद्ध में से एक चुनना होगा। समझदारी भरा रास्ता नई विश्व व्यवस्था के अन्तर्गत विश्व संसद की ओर ले जाता है। यूएनओ को शक्ति प्रदान करके विश्व संसद का रूप दिया जा सकता है। उसके साथ ही विश्व संविधान तथा प्रभावशाली विश्व न्यायालय का गठन आवश्यक है। 
    लोकतांत्रिक देश की तरह ही वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था के अन्तर्गत विश्व को कानून तथा संविधान द्वारा चलाया जाना चाहिए। मनुष्य ने परमाणु बमों तथा युद्धों द्वारा आपसी विवादों का हल निकालने का जंगली तरीका खोजा है। 
     विश्व शान्ति के प्रबल समर्थक, प्रख्यात शिक्षाविद् एवं सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ के संस्थापक डा. जगदीश गाँधी ने विश्व के सभी देशों के प्रमुख नेताओं से पुरजोर अपील की है कि विश्व के ढाई अरब बच्चों एवं आने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य हेतु विश्व एकता व विश्व शान्ति की स्थापना के प्रयासों में तेजी लायें। 
डा. गाँधी ने विश्व के सभी देशों के प्रमुख नेताओं को पत्र लिखकर वैश्विक समस्याओं के समाधान हेतु विश्व संसद के गठन की जोरदार अपील की है। इसी संदर्भ में यहाँ सी.एम.एस. गोमती नगर (प्रथम कैम्पस) आॅडिटोरियम में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से तृतीय विश्व युद्ध का खतरा निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। 
    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय जैसी वैश्विक संस्थाएं इस युद्ध को रोक पाने में सफल नहीं हो सकीं, साथ ही  वैश्विक संस्थायें जैसे अशिक्षा, गरीबी, बुनियादी स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन आदि का समाधान प्रस्तुत करने में सफल नहीं हो पा रही हैं। ऐसी स्थिति में, अब विश्व संसद का गठन और प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था ही भावी पीढ़ी को सुरक्षित व शान्तिपूर्ण वातावरण उपलब्ध करा सकती है।
    डा. गाँधी ने बताया कि मैने सी.एम.एस. के 58,000 छात्रों व विश्व के ढाई अरब बच्चों की ओर से विश्व के सभी नेताओं को पत्र लिखकर अपील की है कि भावी पीढ़ी के हित में अविलम्ब एक बैठक बुलाकर विश्व संसद के गठन पर विचार करें और विश्व एकता व विश्व शान्ति का मार्ग प्रशस्त करें। डा. गाँधी ने बताया कि सर्वप्रथम, 1919 में अमेरिकी राष्ट्रपति बुडरो विल्सन ने 42 देशों की मीटिंग बुलाकर लीग आॅफ नेशन्स की स्थापना की। उसके उपरान्त 1945 में अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने 51 देशों की मीटिंग बुलाकर संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन किया। इसी कड़ी में यूरोपीय संघ, यूरोपीय पार्लियामेन्ट एवं यूरोपीय करेंसी की अवधारणा भी विकसित हुई।
    डा. गाँधी ने जोर देते हुए कहा कि विश्व की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए विश्व संसद, विश्व सरकार एवं प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था का गठन अब अनिवार्य आवश्यकता है और यही विश्व एकता व विश्व शान्ति का एकमात्र विकल्प भी है। अमेरिका व भारत जैसे विशाल लोकतान्त्रिक देशों के राष्ट्रप्रमुखों का कर्तव्य है कि वे विश्व मानवता के हित में अविलम्ब सभी प्रभुसत्ता सम्पन्न राष्ट्रों की बैठक बुलाकर एक वैश्विक लोकतंत्र (विश्व संसद) की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करें। 
    डा. गाँधी ने आगे कहा कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल विश्व का अकेला ऐसा विद्यालय है जो अपने यहाँ अध्ययनरत लगभग 58000 छात्रों को सर्वोत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के साथ ही उन्हें उच्च जीवन मूल्य प्रदान कर मानवता की सेवा करने वाला एक आदर्श विश्व नागरिक बनाता है, साथ ही संसार के ढाई अरब बच्चों की शान्ति सुरक्षा के लिए भी सतत् प्रयासरत है। सी.एम.एस. के इन प्रयासों को पूरी दुनिया में सराहा गया है। 
    भावी पीढ़ी के हित में सी.एम.एस. अपनी स्थापना के समय से ही विश्व एकता व विश्व शान्ति हेतु लगातार प्रयासरत है। डा. जगदीश गाँधी के मार्गदर्शन में सी.एम.एस. द्वारा विगत 22 वर्षों से लगातार अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें अब तक 136 देशों के 1361 मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश तथा शासनाध्यक्ष प्रतिभाग कर चुके हैं। विश्व की न्यायिक बिरादरी ने सी.एम.एस. के विश्व एकता, विश्व शान्ति व विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य की मुहिम को भारी समर्थन दिया है।
    वोटरशिप के जन्मदाता विश्वात्मा के अनुसार सफलता के लिए सबसे पहली जरूरत है कि ईश्वर में रटी-रटाई तरीके से केवल विश्वास न किया जाए अपितु ईश्वर की सत्ता को जानने की कोशिश भी किया जाए। जिस प्रकार नशीली दवा शरीर में काम नहीं करती उसी प्रकार ईश्वर के विषय में फैला हुआ अंधविश्वास इंसान को विफलता के के दलदल में धकेल देता है। 
    विश्वात्मा के अनुसार बिना परिश्रम के सफलता नहीं मिल सकती। लेकिन परिश्रम करके भी सफलता जरूरी नहीं, कि मिल ही जाए। यह देखना होता है की प्रकृति ने अपने अंदर जो जन्मजात गुण दिया है, क्या उसके फलने-फूलने की अनुमति संसार के नियम कानून, संविधान और सामाजिक और पारिवारिक संस्कार देते हैं या नहीं? 
    विश्वात्मा के अनुसार संसार के नियम, कानून, संस्कार और परंपराएं नदी का वह पानी है जिसमें अपने को तैरना होता है। नदी का पानी जिस दिशा में बह रहा है हमें उसी दिशा में जाना हो तो कम परिश्रम से अधिक दूरी तय कर लेते हैं लेकिन नदी के धारा के विपरीत जाना हो तो ज्यादा परिश्रम से ही सफलता कम मिलती है। इसलिए आदर्श कानूनी और संवैधानिक व्यवस्था वही है जिसमें हर व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास और उसकी योग्यता को फलने-फूलने के लिए कानून बनाए जाएं। ऐसे ही धार्मिक संस्कार बनाए जाएं और ऐसा ही संविधान बनाया जाए। इसीलिए राज्य के वर्तमान ढांचे में भारी संशोधन की जरूरत है।
    विश्वात्मा के अनुसार अपने को पहचानने का काम खुद अपना है। पहचानने के बाद परिश्रम करने की जिम्मेदारी भी खुद अपने ऊपर होती है। लेकिन अगर कुछ कानून दिखाई पड़ जाएं, जो अपने पैरों की बेड़ियां हैं और अपने को आगे बढ़ने में बाधाएं तो उन कानूनों को बदलने के लिए सामूहिक प्रयत्न की जरूरत होती है। व्यक्ति के आत्मिक विकास से लेकर उसके सामूहिक विकास के लिए जरूरी कानूनी और संवैधानिक व्यवस्था में सुधार का प्रशिक्षण दिया जाता है।
    मानव जाति को भेड़ों के झुण्ड की तरह माना गया है। अपने झुण्ड के पालन के लिए एक गड़रिया की आवश्यकता होती है। एक सच्चा गड़रिया अपनी जान की बाजी लगाकर भी भेड़िये से अपनी भेड़ों की रक्षा करता है। 
    शिक्षा सबसे शक्ति हथियार है जिसके द्वारा विश्व को बदला जा सकता है। 21वीं सदी का विश्व बदलाव चाहता है। Aim of entire education is to unite the world. Aim of entire religion is to unite the world. Aim of entire law and justice is to unite the world. Unity will bring divine civilization on Earth. 
    अन्त में श्री अरविन्द पाल, महामंत्री सहित आर्डनेन्स फैक्ट्ररी कर्मचारी संघ के सभी पदाधिकारियों तथा श्रीमती संध्या पाल, डायरेक्टर, परमवीर ग्लोबल सोशल फाउण्डेशन (रजि.), भारत सरकार को हार्दिक धन्यवाद।
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