
7 अगस्त - बहुमुखी प्रतिभा के धनी गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर की
पुण्य तिथि पर हार्दिक श्रद्धांजलि
जन गण मन का गुणगान किया
किसानों का मसीहा बने, अन्नदाता को नमन किया
गांव की उन्नति के लिए आधुनिक तरीके अपनाने को प्रेरित किया
जीवन के महासत्य को खोजने की जन-जन में जिज्ञासा जगाई
तेरे उच्चतम आदर्शों का हम जीवन भर गीत गाये
साहित्य-गीतों की पंक्तियों से तुझ पर श्रद्धा सुमन चढ़ाये
रक्षा बंधन इंसानियत का पर्व है इसकी सीख तुम्हीं से पाई
गीतांजलि महाकाव्य पर नोबल प्राइज से देश का मान बढ़ाया
राष्ट्रीयता से मानवता बड़ी इसका जयघोष किया
जीवन के हर मोड़ पर इंसानियत का ढंका बजाया
दीनबन्धु सीएफ एंड्रूयज को अपने अभियान का हमराही बनाया
मानव जाति के उत्थान में अपना सर्वस्य बलिदान किया
गांधीजी को महात्मा की उपाधि से नवाजा
महात्मा ने तुम्हें दिया गुरूदेव का उपहार
आइंस्टीन से मिलकर विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय संदेश दिया
प्रकृति प्रेम तथा मानवता प्रेम से भरे गीतों को रविन्द्र संगीत दिया
इंदिरा ने शांति निकेतन में जाकर प्रियदर्शिनी का गुरूदेव से खिताब पाया
विश्व भारती विश्वविद्यालय से जीवन संगीत की सीख पाकर जीवन धन्य हुआ
देश-विदेश की यात्रायें करके वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश फैलाया
सर्वमान्य विश्व नागरिक बनकर दुनिया को नई राह दिखाई
परमपिता परमात्मा है एक, विश्व परिवार हमारा हैेेेेेेेेे
सारे जग में गुंज उठे जय जगत का नारा है!
जय हिन्द, जय भारत, जय जगत!
रचनाकार - सूरज जौनपुरी ‘विकल’ एवं प्रदीपजी पाल
मोबाइल 98394 23719
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