
नए कृषि कानूनों के विरोध में हजारों की तादाद में दिल्ली और इसकी सीमाओं के आसपास प्रदर्शन कर रहे किसानों का बुधवार को 42वां दिन है. 8 जनवरी को केन्द्र सरकार के साथ आठवें दौर की बातचीत होने जा रही है. लेकिन, उस बातचीत से एक दिन पहले सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान गुरुवार को अपना शक्ति प्रदर्शन करने जा रहे हैं. किसानों की तरफ से गुरुवार की सुबह 11 बजे सिंघु, टिकरी, गाजीपुर और शाहजहांपुर (हरियाणा-राजस्थान सीमा) से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस वे के लिए ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे.
गौरतलब है कि प्रदर्शनकारी किसानों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सोमवार को 8वें दौर की वार्ता बेनतीजा समाप्त हुई थी. किसान संगठन तीनों कृषि सुधार संबंधी कानूनों को वापस लिये जाने की अपनी मांग पर अड़े हुए है, वहीं सरकार लगातार नये कानून के फायदे गिनाने में लगी हुई है.
इससे पहले, 4 जनवरी को किसान संगठन और कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की बीच हुई बाचतीच बेनतीजा रही थी. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि 8 जनवरी को आगामी बैठक में समाधान निकलेगा, लेकिन ताली दोनों हाथों से बजती है.
किसान की मांग है कि सरकार नए कृषि कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दे. किसानों को डर है कि इन नए कानूनों के जरिए सरकार एमएसपी खत्म कर उन्हें पूंजीपतियों के भरोसे छोड़ देगी. जबकि, सरकार का तर्क है कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में नए निवेश होंगे और किसानों की आमदनी बढ़ेगी.
केन्द्र सरकार की तरफ से नए कृषि कानूनों को सितंबर महीने में विपक्ष के भारी विरोध के बीच संसद से पास कराया गया था. उसके बाद से इन कानूनों के चलते उनके सहयोगी अकाली दल और आरएलपी छोड़कर जा चुकी है.
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