
अयोध्या में राम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण की तैयारियों के बीच मथुरा (Mathura) में भी श्री कृष्ण जन्म भूमि (Shree Krishna Janmbhoomi) को लेकर इंसाफ की लड़ाई तेज हो गई है। यहां पर श्री कृष्ण जन्म भूमि का मालिकाना हक पाने के लिए श्री कृष्ण विराजमान की ओर से जिला जज की अदालत में शुक्रवार को अपील की गई थी। कोर्ट की तरफ से इस अपील को स्वीकार कर लिया गया है और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 18 अक्टूबर 2020 तय की गई है। बता दें कि इस याचिका में श्री कृष्ण जन्म स्थान के समीप बने ईदगाह को हटाने की मांग की गई है। अब इस याचिका पर जिला अदालत में मुकदमा चलेगा। रिपोर्ट्स के अनुसार यहां पर श्री कृष्ण जन्मभूमि प्रांगण से सटी शाही मस्जिद हटाने की मांग पर विपक्षियों को नोटिस जारी किए जाएंगे। मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद वादी पक्ष के वकील विष्णु जैन ने यह जानकारी दी।
कुछ दिनों पहले सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में श्री कष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच 1968 में हुए समझौते को रद्द कर मस्जिद को हटाने तथा सारी जमीन श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की गई थी। हालांकि 30 सितंबर को हुई सुनवाई के बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा था कि भक्तों का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। जिसके बाद आज इसी मामले में जिला जज की अदालत ने सुनवाई के बाद इस अपील को स्वीकार कर लिया है। वादी के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उनका दावा मजबूत है। गौरतलब है कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि के लिए जारी लड़ाई वर्षों के बाद सफल होने के बीच मथुरा में भी श्री कृष्ण जन्म भूमि को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
इसी कड़ी में बीते कल गुरुवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी और हनुमानगढ़ी के महंत धर्मदास, अयोध्या निर्वाणी अखाड़ा के महंत राजेंद्र दास, मथुरा वृंदावन अखाड़ा के हरिशंकर नागा श्री कृष्ण जन्मस्थान पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने यहां पर श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा और सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी से मुलाकात की और मंदिर के दर्शन भी किए। इस मुलाकात के बारे में जानकारी देते हुए गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि उन्होंने संतो को मंदिर की नीव पर बनी शाही ईदगाह मस्जिद दिखाई और इस पर चर्चा की।
Leave a comment
महत्वपूर्ण सूचना -
भारत सरकार की नई आईटी पॉलिसी के तहत किसी भी विषय/ व्यक्ति विशेष, समुदाय, धर्म तथा देश के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी दंडनीय अपराध है। इस प्रकार की टिप्पणी पर कानूनी कार्रवाई (सजा या अर्थदंड अथवा दोनों) का प्रावधान है। अत: इस फोरम में भेजे गए किसी भी टिप्पणी की जिम्मेदारी पूर्णत: लेखक की होगी।