"दिग्भ्रमित बेटियों को समर्पित गीत"

"दिग्भ्रमित बेटियों को समर्पित गीत"
आंख खोलकर देख लली
मन ही मन में सोचे माता !
लक्ष्मी बनकर आई लली !!
     खुद गीले में सोई माता,
     पर सूखे में सोई लली !
   भूखे रहकर भूख मिटाई,
    पल-पल दूध पिलाई लली!
मन ही मन में सोचे माता !
लक्ष्मी बनकर आई लली !!
  लाड़ प्यार से पाला पोसा,
 बड़े  जतन में खिली कली!
मां का प्यार अरे ठुकराकर,
 निष्ठुर  बेटी  कंहाँ  चली !
मन ही मन में सोचे माता !
लक्ष्मी बनकर आई लली !!
  कदमों में तेरी मां का सिर है,
आंख  खोलकर  देख लली !
  कंहीं और देर न हो जाये,
  तू जल्दी घर को लौट लली !!
         ----घनश्याम सिंह त्रिभाषी रचनाकार

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