शान्ति पाल ‘प्रीति’ के जन्म दिन पर भावपूर्ण पुष्पाजंलि-श्रद्धांजलि द्वारा आत्मा अजर अमर अविनाशी का संदेश दिया गया

लखनऊ 14 जुलाई। पाल वल्र्ड टाइम्स वेबसाइट के द्वारा स्व. शान्ति पाल ‘प्रीति’ के जन्म दिन पर आयोजित भावपूर्ण पुष्पाजंलि-श्रद्धांजलि समारोह में पारिवारिक एकता का संकल्प आज एल्डिको कालोनी, रायबरेली रोड में लिया गया। समारोह का शुभारम्भ वसुधैव कुटुम्बकम् की प्रेरणा लोकमाता अहिल्या बाई होलकर, सभी महान धर्मों के ईश्वरीय संदेशवाहकों तथा पारिवारिक एकता की प्रबल समर्थक स्व. शान्ति पाल के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके किया गया।
समारोह की वरिष्ठ समाजसेवी मुख्य अतिथि श्रीमती निर्मला सिंह ने बहाई प्रार्थना के द्वारा दिवंगत आत्मा की दिव्य लोक में निरन्तर प्रगति करने की सुन्दर प्राथ्र्रना प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि बहाई पवित्र लेखों के अनुसार मृत्यु प्रसन्नता का सन्देशवाहक है। जब एक व्यक्ति मर जाता है तो वह अपने सृजनहार के पास वापिस लौट जाता है तथा उसका अपने प्यारे प्रभु से पुनर्मिलन हो जाता है। मृत्यु के पश्चात इंसान की आत्मा इस संसार के दुःखों से आजाद होकर जैसा कि बहाई मानते है कि ईश्वर के सुन्दर साम्राज्य में चली जाती है।
प्रसिद्ध कवि सूर्य पाल सिंह ‘सूरज जौनपुरी’ ने समाजसेविका शान्ति पाल को अपनी पुष्पांजलि-श्रद्धाजंलि अत्यन्त ही संदेशप्रेरक तथा मार्मिक कविता के द्वारा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण भगवान ने अपने सखा अर्जुन को गीता का सन्देश देते हुए जीवन एवं मृत्यु के संबंधों को बहुत ही अच्छी तरह समझाया है। गीता का यह ज्ञान हमारे लिए भी काफी लाभकारी है। नैनं छिन्दन्ति शास्त्रिाणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्तापो न शोषयति मारूतः।। इसका भावार्थ है - हे अर्जुन, आत्मा को न शस्त्र भेद सकते हैं न अग्नि जला सकती है, न ही इसे वायु सुखा सकती है, न ही इसे दुःख-सुख, क्लेश आदि प्रभावित कर सकते हैं। अतः तू भली-भांति समझ ले कि आत्मा अजर अमर अविनाशी है।
वरिष्ठ समाजसेवी प्रदीपजी पाल ने इस अवसर पर कहा कि विश्व के सभी महान धर्म हमें बताते हंै कि आत्मा और शरीर में एक अत्यन्त विशेष सम्बन्ध होता है इन दोनों के मिलने से मानव की संरचना होती है। आत्मा और शरीर का यह सम्बन्ध केवल एक नाशवान जीवन की अवधि तक ही सीमित रहता है। जब यह समाप्त हो जाता है तो दोनों अपने-अपने उद्गम स्थान को वापस चले जाते हैं, शरीर मिट्टी में मिल जाता है और आत्मा ईश्वर के आध्यात्मिक लोक में। आत्मा आध्यात्मिक लोक से निकली हुई, ईश्वर की छवि से सृजित होकर दिव्य गुणों और स्वर्गिक विशेषताओं को धारण करने की क्षमता लिए हुए शरीर से अलग होने के बाद शाश्वत रूप से प्रगति की ओर बढ़ती रहती है।
आगे उन्होंने बताया कि हम आत्मा को एक पक्षी रूप में तथा मानव शरीर को एक पिजड़े के समान मान सकते है। इस संसार में रहते हुए हम शारीरिक सीमाओं में बंधे रहते हैं। हमें बीमारियों तथा दुःखों को सहना पड़ता है। मृत्यु के समय जब यह मानव शरीर रूपी पिजड़ा टूट जाता है। तब आत्मा मानव शरीर की सीमाओं से स्वतंत्र होकर प्रभु के संसार की ओर उड़ जाती है। क्या अपने सृजनहार से पुनर्मिलन के इस विचार के पीछे किसी प्रकार का दुःख या डर है? इसलिए हमंे मृत्यु से डरना नही चाहिए। मृत्यु एक शाश्वत एवं सुन्दर सत्य है जिसका सामना प्रत्येक को करना है।
युवा समाजसेवी विश्व पाल ने इस अवसर पर बताया कि मेरी बड़ी बहिन शान्ति पाल का स्वर्गवास ब्लड केंसर की बीमारी के चलते 20 मार्च 2018 को हो गया था। इस जानलेवा बीमारी की लगभग एक वर्ष की अवधि में उसने बड़ी बहादुरी तथा ध्येय के साथ उसका मुकाबला किया था। बहिन शान्ति पाल को बीमारी की
अवधि में निरन्तर रक्त की आवश्यकता पड़ती थी। समाज के अनेक लोगों ने उसे रक्तदान किया था। समाज के इस ऋण को चुकाने के लिए मैं नियमित रूप से रक्तदान करता हूं। विश्व पाल ने युवा परिजनों से नियमित रूप से रक्तदान करने की भी प्रार्थना की। इस हेतु आगामी सोमवार, 19 जुलाई 2021 को स्वेच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन प्रातः 9.30 बजे से दोपहर 12 बजे तक ब्लड बैंक, बी-ब्लाक, पीजीआई अस्पताल, रायबरेली रोड, लखनऊ में श्री साई सेवा रक्तदान ग्रुप, लखनऊ तथा पाल वल्र्ड टाइम्स वेबसाइट, लखनऊ किया गया है।
समाजसेविका श्रीमती नीतू सिंह ने अपनी सबसे प्रिय सहेली शान्ति पाल के साथ गुजारे सुखद अनुभव को विस्तार से बताकर सभी को भावविभोर कर दिया। उन्होंने बताया कि प्रिय शान्ति ने जिस साहस के साथ इस पीड़ादायक बीमारी को हंसते हुए झेला था। वह सदैव सभी को जीवन की प्रत्येक पीड़ा को हंसते हुए झेलने की प्रेरणा देता रहेगा।
जन्म दिवस समारोह में वरिष्ठ समाजसेवी श्रीराम पाल, श्रीमती स्मिता पाल, श्रीमती उमाजी पाल आदि ने दिवंगत शान्ति पाल के सरल, शान्त, हंसमुख, पवित्र तथा परिश्रमी व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हुए उसकी महान आत्मा को अपनी श्रद्धांजलि-पुष्पाजंलि दी। समाज के अनेक विचारशील तथा आत्मीय परिजनों ने सोशल मीडिया के माध्यम से शान्ति पाल के जन्म दिन पर उसकी आत्मा की प्रगति की प्रार्थना की।
अन्त में सभी को हरि कमल दर्पण साप्ताहिक समाचार की प्रतियां भेंट की गयी। साथ इसके सदस्य बनने के लिए सभी को प्रेरित किया गया।
palworldtimes.com
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