होली का एक ही है संदेश - प्रेम और भाईचारा - डॉ. जगदीश गाँधी, संस्थापक, सी.एम.एस.

होली उमंग, उल्लास, मस्ती, रोमांच और प्रेम-आह्वान का त्योहार है। कलुषित भावनाओं का होलिकादहन कर नेह की ज्योति जलाने और सभी को एक रंग में रंगकर बंधुत्व को बढ़ाने वाला होली का त्योहार आज देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पूरे जोश के साथ जोरों-शोरों से मनाया जाता है।

     प्रकृति के पांवों में पायल की छम-छम बसंत के बाद इस समय पतझड़ के कारण साख से पत्ते टूटकर दूर हो रहे होते हैं, ऐसे में परस्पर एकता, लगाव और मैत्री को एकसाथ एक सूत्र में बांधने का संदेशवाहक होली का त्योहार प्रकृति के साथ जनमानस में सकारात्मकता और नवीन ऊर्जा का संचार करने वाला है डॉ. जगदीश गाँधी इस अवसर पर शुभकामना देते हुए कहते है की होली के रंगों का केवल भौतिक ही नहीं, बल्कि आत्मिक महत्व भी है। रंग हमारी उमंग में वृद्धि करते हैं और हर रंग का मानव जीवन से गहरा अंतरसंबंध जुड़ा हुआ है।

   लेकिन आज प्राकृतिक रंगों की जगह केमिकल रंगों के प्रयोग ने मानव त्वचा को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया है इससे बचना चाहिए होली को शांति और एकता के रंगो से रंग कर सारे विश्व को एक हो जाने का सन्देश देना चाहिए । वह कहते है की हम सब एक ईश्वर की संतान है सारा जहाँ हमारा है हमे इस होली पर विश्व को एक मोती मे पिरो कर विश्व संसद के निर्माण की संकल्पना करनी चाहिए।

   वहीं इस अवसर पर वही डॉ. भारती  गाँधी का कहना है की होली प्रेम-प्रतीति का, एकता और भाई-चारे का, मानवता, सौहार्द और अपनेपन का पर्व है। होली पर सभी भेदभाव भुलाकर, गले मिल कर प्रेम बांटना चाहिए।वह कहती है की होली का रंग, प्रेम का रंग है। इसमें अंहकार भाव नहीं होना चाहिए। होलिका भी अंहकार के प्रतीक के रूप में चलाई जाती है। अहम के खत्म होते ही संसार के सारे रिश्ते स्नेह व प्रेम से जुड़ जाते हैं। बिना स्नेह के कोई किसी से नहीं जुड़ता है। होली पर का पर्व स्नेह के आधार से जुड़ा है। प्रेम से होली खेलने से, मर्यादा में होली कर प्रेम का संदेश आसानी से दिया जा सकता है।

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