
श्री गोपाल बघेल ‘मधु’, टोरोंटो, कनाडा की हरिकमल दर्पण
साप्ताहिक समाचार पत्र में प्रकाशित प्रेरणादायी कविता
‘आज कुछ आशा और निराशा’
(मधु गीति 210309 बग्रसा) के परिपेक्ष्य में
हृदय के कुछ उद्गार
आशा और निराशा में आशा को पढ़कर बलवती हुई अभिलाषा
जीवन के उत्कृष्ट को छुकर हमने किया तमाशा
आप की कलम की छुई मुई से हमने रची कहानी
आशा को ताज पहनाकर जिन्दगी की दी कुर्बानी
मेरे हमदम मेरे दोस्त प्रेम का दीप जलाओ
आशा का अलिगन करके मधु गीत सुनाओ
जीवन का इतिहास यही है जीवन की अभिलाषा
गिरते को उठाकर नया करो तमाशा
जय भारत, जय कनाडा, जय जगत का नारा देकर
विश्व का नया इतिहास बनाये
जीवन की गिरती परिपाटी को दिल से ऊपर उठाये
जय हिन्द, जय जगत, जय कनाडा की विश्व धुन बजाये
जिन्दाबाद, जिन्दाबाद, जिन्दाबाद
जय भारत, जय कनाडा, जय जगत, जिन्दाबाद
आइये, हम सब मधुर गीत गाये जीवन की डोर बढ़ाये
रचनाकार - सूरज जौनपुरी
सूर्य पाल सिंह, लखनऊ मोबाइल 94530 53903
पाल वल्र्ड टाइम्स वेबसाइट के सौजन्य से
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