आगामी 31 मई को लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर जयंती समारोह को  उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए कुछ सुझाव

 
- श्रीमती पद्मावती ‘पदम’, लेखिका, आगरा 
    समाज और प्रशासन की जागरूकता के लिए ये बहुत जरूरी है कि जो हमारा हक है संवैधानिक अधिकार भी वो हमें मिलना ही चाहिए। मैं सोचती हूँ इस हक के लिए सिर्फ पुरूष ही क्यों महिलाओं को भी आगे आना चाहिए। समाज की ताकत को सरकार को दिखाना भी आवश्यक है। ये पहल हम सभी को खुद से ही करनी होगी उन्हें उनके कर्तव्य जिम्मेदारी व अधिकारों की जानकारी केवल घर में नहीं दी जा सकती। 
    इस कार्यक्रम के अलावा दूसरे अगर कोई सामाजिक कार्यक्रम आप रखते हैं तो महिलाओं को भी अवसर दीजिये। इन कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें जागरूक कीजिए और उनमें घर के साथ साथ अपने समाज के प्रति एक मजबूत भावना पैदा होगी। अपने हक के लिए पुरूष के कंधे से कंधा मिलाकर के आवाज आवाज बुलंद करना सीखेंगीं। 
    मैं चाहती हूँ कि हमारी बहन बेटियां बिना किसी बाधा और सामाजिक बंधन के अपने अधिकारों को प्राप्त करें तथा अपने भविष्य का निर्माण करने में सक्षम हों। लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर की तरह मेरी बहने समय के साथ आत्मनिर्भर बनकर समाज के साथ साथ देश के लिए भी अपना योगदान दें।
    आज भी कुछ लोगों की सोच है कि सरकारी एवं गैर सरकारी क्षेत्रों में महिलाओं को पुरूषों के समान उपयुक्त नहीं माना जाता वो इस लायक नहीं है उन्हें पुरूषों के बराबर अवसर भी नहीं है। जिस समाज की शान ही एक आसाधारण महिला हो जिसके समान पूरे विश्व में आज तक कोई भी नारी पैदा नहीं हुई उस समाज में ही अपने घर की बहन बेटियों को अपनी संकुचित मानसिकता के द्वारा आगे बढ़ाया नहीं जाता है बड़े ही सोचने वाली बात है? जब भी कोई सामाजिक कार्यक्रम हों तो आज भी अपने ही समाज के कई पुरूषों को ये कहते हुए सुना जा सकता है कि हमारे घर की बहू-बेटियां कहीं नहीं जाएंगी!
    मैं पूछती हूँ आखिर क्यों? पुरूष का ज्यादातर समय बाहर गुजरता है लेकिन एक जागरूक महिला जो अपने साथ साथ अपने बच्चों को भी समाज के गौरवशाली इतिहास कर बारे में जानकारी दे सकती हैं। आगामी 31 मई को लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर की जयंती है। इस बार ये कोशिश होनी चाहिए कि जो बुजुर्ग माताओं के साथ अनेक बहिनें हैं जिन्होंने अपने समाज का नाम रोशन किया सेवानिवृत हैं। वे अपने सेवा कार्यों अनुभव से समाज में योगदान दिया है साथ ही वर्तमान में दें भी रहीं हैं। 
    इन नारी शक्तियों को विशेषकर मातुश्री की जयन्ती समारोहों में सम्माननित किया जाए और उनकी सहभागिता भी ज्यादा होनी चाहिए। समाज बन्धुओं से भी निवेदन करती हूँ कि वे कार्यक्रम में सपरिवार शामिल हों। जिससे महिलाआंे के साथ-साथ बच्चों में भी स्वाभिमान, नैतिकता तथा गर्व की भावना विकसित होगी और मार्गदर्शन भी मिलेगा।
    यह उद्देश्य तभी संभव हो सकेगा जब समाज की भावी पीढ़ी समाज को आगे ले जाने में सक्षम हो उसका हृदय राष्ट्रीय भावना गौरवशाली इतिहास से गर्वित तथा ओतप्रोत हो। आवश्यकता भी है भावी पीढ़ी को अपने महापुरूषों के त्याग, बलिदान तथा उनके पुरूषार्थ का समाज के कार्यक्रमों के द्वारा निरन्तर बोध कराते रहना होगा। वे सेवा भावना, त्याग, समर्पण, संयम, परोपकार, संस्कार, मानमर्यादा को ध्यान में रखकर सुख-दुख में सहभागी बनकर समाज का कल्याण कर सकें।
    बनो! मातुश्री अहिल्याबाई होल्कर अपनी आत्म शक्ति दिखलाओ। 
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