गांव का एक बालक जो बन गया स्वीडन के गोथनबर्ग विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डा. रविकांत

गांव का एक बालक जो बन गया
स्वीडन के गोथनबर्ग विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डा. रविकांत
डा0 रवि कान्त के भारत उदय गुरूकुल द्वारा 26 फरवरी से 4 मार्च 2023 तक 
आयोजित होने वाले वैदिक गणित शिविर का आमंत्रण 
लखनऊ का चार सदस्यीय शैक्षिक दल प्रदीपजी पाल, एडीटर इन चीफ, पाल वल्र्ड टाइम्स न्यूज पोर्टल, श्रीमती गुंजन तिवारी, शिक्षिका, श्री संजीव शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा विश्व पाल हमीरपुर, उत्तर प्रदेश में भारत उदय गुरूकुल के संस्थापक डा. रवि कान्त पाठक से उनके गांव में जाकर था। आइये, डा. रवि कान्त के समाजोपयोगी कार्यों के बारे में जानते है।   
    जड़, जंगल, जमीन रहेगी तो दुनिया रहेगी, नहीं तो जीव भी नहीं रहेगा। पर्यावरणविद और वनस्पतिशास्त्री इसकी हिफाजत के लिए लगातार चिंता जता रहे हैं, इसके बावजूद इस ओर बहुत कम ध्यान दिया जा रहा है। रासायनिक खादों से खेती लगातार महंगी और फसल अस्वास्थ्यकर होती जा रही है। इस दशा से चिंतित स्वीडन में भारतीय वैज्ञानिक डा. रविकांत पाठक पिछले कई वर्षों से इसको बदलने में लगे हुए हैं। उनके प्रयासों का जबर्दस्त असर दिखा और नतीजा यह है कि बुंदेलखंड जैसे सूखे इलाके में भी हरियाली दिखने लगी है। जहां पानी नहीं था, वहां बागों में पेड़ों पर फलों के गुच्छे लटक रहे हैं। उनकी इस सफलता को देखकर आसपास के दूसरे गांवों में भी यह प्रयोग शुरू किया जा रहा है। हालांकि उनका प्रयास बेहद सफल रहा, लेकिन जिस ऊंचाई पर पहुंचकर वह गांव-गिरांव की बातें सोचते हैं, वह बहुतों को चकित कर देने वाला है। 
    डा. रविकांत पाठक स्वीडन के गोथनबर्ग विश्वविद्यालय में वायुमंडलीय वैज्ञानिक और एसोसिएट प्रोफेसर हैं। साथ ही वह एक समाज सुधारक, लक्ष्य के प्रति निरंतर सक्रिय रहने वाले चट्टानी सोच के हिमायती कार्यकर्ता भी हैं। बातजखनी गांव के जलदूत, सर्वोदय कार्यकर्ता और जलग्राम स्वराज अभियान समिति के अध्यक्ष तथा ‘खेत में मेड़, मेड़ पर पेड़’ तकनीकी के प्रणेता उमाशंकर पांडेय के मुताबिक “डा. पाठक न केवल एक पर्यावरणविद है, बल्कि वह उच्च शिक्षित होकर भी एक सामान्य और सादगी भरा जीवन जीने वाले गांधीवादी विचारधारा के राष्ट्रभक्त इंसान भी हैं।
    बुंदेलखंड के जिस हमीरपुर जिले के छेड़ी बसायक गांव में उनका जन्म हुआ था, वह बहुत ही पिछड़ा और पानी विहीन इलाका है। गरीबी और तंगहाली में बचपन बिताए डा. पाठक अपनी इस दशा को अपने लक्ष्य में कभी आड़े नहीं आने दिया। यही वजह है कि वह अपनी प्रतिभा से न केवल आईआईटी मुंबई पहुंचे, बल्कि हांगकांग, अमेरिका और स्वीडन तक में उन्होंने अध्ययन और अध्यापन किया। उन्होंने हांगकांग में रिसर्च किया, अमेरिका में वैज्ञानिक बने और स्वीडन में पढ़ाया, लेकिन गांव की जड़ को नहीं छोड़ा। विदेशों में रहकर भी वे समय-समय पर गांव आते हैं और कई तरह के सामाजिक कार्य करते हुए लाखों लोगों के प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। 
    डा. रविकांत पाठक सिर्फ खेती और उसकी उर्वरता की बात ही नहीं करते हैं, बल्कि गौशाला, आहार, आरोग्य और बच्चों के आंतरिक विकास और उनमें राष्ट्रीय चरित्र व नेतृत्व गढ़ने की बात भी करते हैं। उनका कहना है कि अगर खेती रहेगी, तो वन रहेगा, भूजल बचेगा, गायों की रक्षा होगी, पौधे बचेंगे, हरियाली रहेगी, प्रदूषण खत्म होगा, बिना रसायन वाला अच्छा आहार ग्रहण करने से बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तो उनका चारित्रिक और नैतिक विकास होगा तथा राष्ट्रप्रेम की भावना बढ़ेगी।
    आपने भारत उदय गुरूकुल नाम से एक संस्था की स्थापना की है। उनका कहना है कि “इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों के लिए एक शिक्षण संस्थान स्थापित करना है, जो उन्हें रोचक ढंग से सीखने, तनाव मुक्त, टिकाऊ और उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए उपयोगी बनाकर उच्च नैतिक अखंडता और आत्म-सम्मान के साथ विश्व नागरिक बनने के लिए तैयार करेगा।
    भारत उदय गुरूकुल द्वारा दिनांक 26 फरवरी से 4 मार्च 2023 तक वैदिक गणित शिविर का आयोजन
वैदिक गणित भारत की प्रमुख सनातनी विद्याओं में से एक है और आज भी प्रासंगिक है। इसकी विशेषता यह है कि इस विद्या को जानने वाला व्यक्ति गणितीय तकनीकों में इतना दक्ष हो जाता है कि कैलकुलेटर से भी अधिक गति से गणना कर सकता है। अतः इस विद्या को जन-जन तक पहुँचाने के लिए भारत उदय गुरूकुल द्वारा दिनांक 26 फरवरी से 4 मार्च 2023 तक वैदिक गणित शिविर का आयोजन किया जा रहा है। 
    इस शिविर में सभी उम्र (5 वर्ष से ऊपर) के लोग भाग ले सकते हैं। यह वैदिक गणित शिविर मुख्य रूप से एक आवासीय शिविर है, लेकिन इसमें आनलाइन भी भाग लिया जा सकता है। इस आवासीय शिविर में नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम (योग), प्राणायाम, ध्यान, आत्मनिरीक्षण, जैविक खेती एवं कुश्ती (दंगल) आदि का प्रशिक्षण एवं अभ्यास किया जायेगा। दैनिक दिनचर्या ब्रह्ममुहूर्त में प्रातः 4.00 बजे से प्रारम्भ होकर रात्रि 9.00 बजे आत्मनिरीक्षण सत्र के साथ समाप्त होती है। शिक्षा-संस्कृति और वैदिक गणित का यह अनूठा कैंप बच्चों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। अतः प्राथमिकता के आधार पर अपने बच्चे का पंजीकरण करवाएं:-
https://bit.ly/vedicmathcamp


- प्रदीप जी पाल एवं संजीव कुमार शुक्ला
वल्र्ड वल्र्ड टाइम्स न्यूज पोर्टल 
वरिष्ठ पत्रकार 

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