
कन्या भ्रूण हत्या
ऐ मानव तू सोच जरा,
यह कैसा तेरा विचार रे।
सोंच समझ तु अपने मन मे,
यह तेरा अधिकार रे।।
कन्या भ्रूण दहेज हत्या, दुराचार व्यभिचार रे ।
एक तरफ तू देवी माने, दूजे अत्याचार रे।।
सोच समझ तू अपने मन में, यह तेरा अधिकार रे!!
बेटी बनकर आती घर में, करती सबसे प्यार रे।
दुल्हन बनकर जाती घर से, दोनों कुल उजियारे रे।।
सोच समझ तू अपने मन में ,यह तेरा अधिकार रे!!
लोग कुटुम परिवार छोड़कर, पर घर जाती नार रे।
मां बन करके ममता आती, करती सबसे दुलार रे।।
सोच समझ तू अपने मन में, यह तेरा अधिकार रे!!
बहन मातु बेटी जिस घर न, वह घर मृतक मसान रे।
इन सबके बिन कैसा जीना, मत बनियों हैवान रे।।
सोच समझ तू अपने मन में, यह तेरा अधिकार रे!!
ममता प्यार दुलार ना भावे, ऐसा तू शैतान रे।
इन्हें मारने से न मिलेगा, मान और सम्मान रे।।
सोच समझ तू अपने मन में......!!
खिले अधखिले फूल न तोड़ो,मत करियो बर्बाद रे।
फूल खिलाओ चमन सजाओ, सुगंधित संसार रे।।
सोच समझ तू अपने मन में....!!
ऐसा कर्म करो ना प्यारे, पाओ न सुख शांति रे।
नारी जागी अगर कहीं तो, इक दिन होवै क्रांति रे।।
सोच समझ तू अपने मन में .....!!
नारी को निर्बल मत समझो ,नारी नर की खान रे।
नारी बिना अधूरा नर है, देखो नयन उघार रे।।
सोच समझ तू अपने मन में ........!!
हर घर की यह दीपशिखा है, मिट जाए अंधियार रे।
नारी घर की दीपक जानो, नारी से संसार रे।।
सोच समझ तू अपने मन में.......!!
बेटा बेटी भेद न करियो, सबसे यही पुकार रे।
नारी विहीन धरा मत करियो, "परिवर्तन" संसार रे।।
सोच समझ तू अपने मन में, यह तेरा अधिकार रे !!
ऐ मानव तू सोच जरा, यह कैसा तेरा विचार रे!!
आप के समान दर्द का हमदर्द साथी---
सीतापुर
*9695 207197
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