
प्रयागराज 26 जनवरी, बहुजन समाज के सात से सत्रह आयु वर्ग के बच्चों के सृजनात्मक, कलात्मक और व्यक्तित्व विकास के साथ बहुजन रंगमंच के पुनर्स्थापत्य व उनके शैक्षिक विकास के लिये प्रतिबद्ध प्रबुद्ध फाउंडेशन द्वारा संचालित प्रबुद्ध पाठशाला के लगभग सैकड़ों बच्चों ने गणतंत्र दिवस की 74 वीं वर्षगांठ हर्षोउल्लास के साथ बुद्ध वंदना, त्रिशरण, पंचशील के साथ राष्ट्रगान का संगायन कर मनाया।
प्रबुद्ध पाठशाला के संयोजक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रंगकर्मी रंग निर्देशक आईपी रामबृज ने झंडारोहण कर बच्चों को गणतंत्र दिवस के विषय में विस्तार से बताया। रामबृज ने गणतंत्र दिवस पर खेद व्यक्त करते हुये कहा कि अभी 15 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव हम भारत के लोगों ने बड़े ही धूमधाम से मनाया और हर घर पर तिरंगा भी फहराया। अगले वर्ष हम भारत के लोग गणतंत्र दिवस का भी अमृत महोत्सव मनाएंगे और हर घरों पर तिरंगा झण्डा भी फहराएंगे और आने वाले अगले पच्चीस साल में हम भारत के लोग आजादी का सौवा वर्ष भी मनाएंगे लेकिन भारतीय लोकतंत्र में देश और प्रदेश की सत्ता पर काबिज होती रही चली आ रही सत्ताधारी पार्टियां क्या देश मे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देश को एक दीमक की तरह भीतर ही भीतर खोखला करती रही चली आ रही जातिवादी व्यवस्था, भेदभाव, छुआछूत, ऊँचनीच, पाखण्ड, कुरीतियो को नष्ट कर भारत को एक विकसित राष्ट्र बना पाये? क्या देश में गरीबी और अमीरी की खाई को कम कर पाए? क्या देश में दोहरी शिक्षा नीति समाप्त कर एकल शिक्षा पद्धति लागू कर पाए ? क्या आज सभी को दो जून की रोटी, तन पर कपड़ा और रहने का मकान मोहैया करा पाए ? क्या ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले नागरिकों को अच्छी शिक्षा, अच्छी चिकित्सा और सम्मानजनक रोजगार दे पाए ? अर्थात देश की सत्ता पर ज्यादातर काबिज होती रही चली आ रही पार्टियों का दोहरा चरित्र हाथी के दो दांत सिद्ध हो रहे है। आज देश के सरकारी सिस्टम को खत्मकर सरकारी संस्थानो को निजी हाथों में बेचकर देश को निजीकरण के दलदल में घुसाना यानि देश को अप्रत्यक्ष रूप से ग़ुलाम बनाने की प्रक्रिया में ले जाना सिद्ध हो रहा है।
रामबृज ने बच्चों को आगे बताया कि भारत जिसे कभी सोने की चिड़िया कहां जाता था। जिस देश मे दूध की गंगा बहती थी क्या उस सम्मान को पुनः वापस दिला पाएंगे ? बच्चों ने शिक्षा के माध्यम से भारत की खोई हुई विरासत को पुनः वापस दिलाने के साथ देश की अमीरी गरीबी की खाई को समाप्त कर समतावादी राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम में रामनरेश, रामशंकर, फूलचंद्र, रामानंद, धीरज, श्यामबाबू, रमाकांत, पिंटू, अमर बहादुर, शिव प्रसाद, सुभाष चन्द्र, अमर जीत, राजाराम, बनवारी लाल, संजीत, आकाश, रतन, रीता, गुड्डी, अनीता, सुनीता, मंजू, रामसवारी के साथ सैकड़ो बच्चे उपस्थित रहे।
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