
बलिदानी हम हिन्दुस्तानी
हिंद पर मर -मिट जाएंगे।
देश प्रेम की खातिर मित्रों
इस पर बलि -बलि जाएंगे।
कलकल बहते नदियाँ झरने
मस्त हवा के क्या है कहने
कान्हा की मुरली बजती ब्रज में
रग रग में राम समाए हैं ।
तीन रंग का प्यारा झंडा
लहर लहर लहराएंगे
कसम हमें इस माटी की
हम माँ का कर्ज चुकाएंगे।
माँ भारती के आँचल में
चैन की नींद न पाएंगे।
प्यारे तिरंगे तेरी खातिर
अपना शीश कटायेंगे।
गाथा गायी जायेगी
सदैव वीर बलिदानों की।
प्यारे वतन की खातिर
रण में अपना लहू बहायेंगे।
अपने लहू से सींचेंगे
वीरों की इस धरती को
सिर पर कफन बाँधकर यारों
शान से हस्ती मिटायेंगे।
वीरों की हुन्कारों से
दुश्मन के छक्के छुड़ाएंगे।
देकर प्राण, देश-प्रेम पर
हम अमर वीर कहलायेंगे।
आजादी का अमृत महोत्सव
हर्षोल्लास से सभी मनाएंगे
जग से न्यारा प्यारा तिरंगा
घर घर में फहराएगें ।।
पदमावती पदम
आगरा
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