अपना समाज 

 

         मेरा मानना है कि समाज में जो लोग रहते हैं उनमें समाज के प्रति सेवा भाव पारस्परिक सहयोग तथा समर्पण की भावना होना बहुत ही जरूरी है।अगर ऐसा नहीं होता है तो समाज कभी भी संगठित नहीं हो सकता।जब समाज में एकता का भाव होता है तो समाज को और भी बल व शक्ति प्राप्त होती है। यदि समाज में कोई जरूरत मंद है तो समाज का दायित्व बनता है कि उसका आर्थिक सहयोग कर उसे संबल प्रदान करना होगा।समाज कोअशिक्षित लोगों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करना होगा तथा समाज की महिलाओं को आगे बढ़ाना होगा लेकिन यह तभी संभव है जब समाज के लोग स्वार्थ की भावना अपनी कुत्सित सोच ,रूढ़िवादी विचारों को त्याग कर समाज के विकास के लिए प्रयासरत रहेंगे।

        समाज तरक्की के पथ पर तभी बढ़ेगा जब समाज के विकास में पुरुष ही नहीं महिलाओं की भी भागीदारी उतनी ही महत्वपूर्ण होगी।जब समाज संगठित होगा तो विकास में भी आगे बढ़ेगा कोई भी महत्वपूर्ण कार्य को अगर पूर्ण करना है तो संगठित रहकर प्रयास करना भी बहुत जरूरी है। इस समय युवा शक्ति को भी सबसे पहले समाज को बदलने की नींव रखनी होगी और निडर और निष्पक्ष होकर सामने आना होगा।


✍️...पदमावती ’पदम’
आगरा।

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