वक्त की बहती नदी की धारा में होशपूर्ण अवस्था में एक नाव की भाँति बहो

दुनिया मे पैसे की महत्ता हमेशा से रही है, इसमें कोई दो राय नही है । जीवन मे सफलता प्राप्त करने के लिए पैसा कमाना आवश्यक है । समाज मे भी सफलता का पैमाना पैसा कमाना ही माना जाता है , पर पैसे कमाने के लिए आँख में पट्टी बांध कर दौड़ लगाना भी उचित नही है , अन्यथा  जब आप अपनी मंजिल पर पहुँचोगे और आँख की पट्टी हटाओगे तो पैसे से बने पहाड़ पर स्वयं को अकेला ही पाओगे । उस खुशी को बांटने के लिए ना ही कोई रिश्तेदार और ना ही कोई दोस्त आपके साथ रहेगा । इस दौड़ में वक्त के साथ सभी रिश्ते बहुत पीछे छूट जाएंगे । यहाँ तक की स्वयं आपका शरीर भी (खराब स्वास्थ्य की वजह से ) आपका साथ नही दे पाएगा । उस पैसे की खुशी को आप किसी से शेयर भी ना कर पाओगे और ना स्वयं ही उसके उपभोग के काबिल रह पाओगे ( खराब स्वास्थ्य के वजह से) ।

 अतः पैसे के पीछे दौड़ो अवश्य, पर आँखों मे पट्टी बांध कर नही । जाग्रत अवस्था मे रहो, वक्त की बहती नदी की धारा में  होशपूर्ण अवस्था में एक नाव की भाँति  बहो जो स्वयं तो नदी के पार पहुँचती है, साथ  ही उसमें सवार सभी लोगो को ( रिश्तदार, दोस्तों को) भी सकुशल आनन्द पूर्वक नदी के  दूसरे क्षोर पर सकुशल पहुँचाती है । पैसे के पीछे अकेले तिनके की तरह वक्त  की नदी में बहने वाला , जो स्वयं को तो बचा नही सकता,  दुसरो को क्या बचायेगा । अतः वक्त की दरिया में नाव की भांति बहो ना कि तिनके की तरह अकेले । पैसा कमाइए , पर हर रिश्तों को भी साथ मे निभाइये । रिश्तों को सफलता पूर्वक जीना ही जीवन है ।
 
आपका आज का दिन शुभ और मंगलमयी हो ।

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विजय वर्मा
वरिष्ठ शाखा प्रबंधक
ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी,
इन्दौर

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