
मानव प्रजाति का प्रकृति वियोग, बढ़ा रहा है रोग....
प्रकृति एवं मानवीय मूल्यों के संरक्षण के लिए करें योग....सामोता
शाहपुरा, जयपुर / नाथद्वारा, राजसमंद, राजस्थान 20 जून, 2022 पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के साथ ही मानव का पृथ्वी की जैव विविधता अर्थात प्राणी एवं वनस्पति जातियों का पृथ्वी के परिवेश / पर्यावरण के साथ प्रगाढ़ संबंध रहा है । स्वस्थ एवं सघन जैव विविधता से ही पृथ्वी का स्वास्थ्य स्वस्थ रह पाता है । पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के विकास क्रम या उद्विकास में वर्तमान समय "मानव के लिए स्वर्णिम काल" है जिसका संपूर्ण धरा पर आधिपत्य कायम है । लेकिन, मानव के अमानवीय व्यवहार ने ना केवल मानव जाति के अस्तित्व के लिए संकट उत्पन्न कर दिया है बल्कि, पृथ्वी और पृथ्वी पर पाए जाने वाली जैव विविधता (वनस्पति एवं प्राणी जातियों) के लिए भी खतरा खड़ा कर दिया है । विगत दशकों में जिस प्रकार से मानव का प्रकृति, जैविक विविधता, संस्कृति और मानवीय संवेदनाओं से वियोग हुआ है, उसी का दुष्परिणाम है कि पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाएं जैसे ग्लोबल वार्मिंग, हिमखंडों का पिघलना, समुद्री जल स्तर का बढ़ना, बाढ़, तूफान, भूकंप, चक्रवात, ऋतु के समय चक्र में परिवर्तन, अम्लीय वर्षा, ओजोन होल, विभिन्न प्रकार की असाध्य महामारीयो या रोगों का संक्रमण, माननीय संघर्ष, प्राणियों व वनस्पति जातियों के अस्तित्व को संकट, मानवीय मूल्यों का हास, हिंसा, सहित पृथ्वी की जैविक विविधता और मानवता पर संकट ज्यादा आया है । इसी के मद्देनजर आज संयुक्त राष्ट्र संघ से जुड़े संपूर्ण देश मानवता, मानव संस्कृति एवं जैव विविधता के संरक्षण में योग की भूमिका एवं महत्व को समझाने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मना रहे हैं । इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2022 की थीम "मानवता के लिए योग"(योगा फॉर ह्यम्यूनिटी ) रखी गई है। क्योंकि, वर्तमान समय में गिरते मानवीय मूल्यों के मद्देनजर, मानव मानव के बीच आत्मीयता का भाव समाप्त होता जा रहा है, जिसे पुनः स्थापित करना बहुत जरूरी हो गया है । साथ ही मानव जीवन अस्तित्व के लिए जरूरी, पृथ्वी की जैविक विविधता को संरक्षण प्रदान करने के लिए भी मानव का पृथ्वी एवं प्रकृति से योग / जुड़ाव जरूरी है ।
वैश्विक महामारी कोरोना काल में योग का महत्व अधिक बढा, जब कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के दौरान लोग घरों से बाहर नहीं निकल सकते थे, जिम, व्यायामशालाए, पब्लिक पार्क, आदि बंद थे, तब लोगों में मन को शांत रखने और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए, घर पर ही योग अभ्यास किया तथा प्रकृति और ग्रामीण संस्कृति की ओर लौटना आरंभ शुरू किया । योग का नियमित अभ्यास शरीर और मस्तिष्क की सेहत के लिए फायदेमंद होता है तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर हमें रोगमुक्त रखता है । योग एक कला है, जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ता है। नियमित योग करने से हमारे शरीर की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति संतुलित बनी रहती है । योग से शरीर में स्फूर्ति, आत्मविश्वास, लचीलापन, एकाग्रता, सकारात्मक ऊर्जा एवम तंदुरुस्ती बनी रहती है और मन मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है । इस प्रकार नियमित योगाभ्यास से हमारा मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है । 21 जून को उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन होता है । भारतीय परंपरा के अनुसार, ग्रीष्म सक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन होता है और माना जाता है कि सूर्य दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए फायदेमंद है । इसी वजह से प्रतिवर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा । भारत में ऋषि मुनियों के दौर से ही योग का प्रचलन रहा है । योग भारतीय संस्कृति एवं प्रकृति से जुड़ा है, जो अब विदेशों में भी फैल गया है । योग के विदेशों में प्रसारित करने का श्रेय हमारे योग गुरुओ को जाता है, जिन्होंने विदेशी जमीन पर योग की उपयोगिता और महत्व के बारे में बताने का प्रयास किया तथा यह पाठ पढ़ाया है की योग मानव जीवन के लिए वरदान है तथा जीवन के लिए पृथ्वी संपूर्ण जैव विविधता एवं मानव स्वास्थ्य का निरोगी होना बेहद जरूरी है ।
प्रकृति एवं प्राकृतिक जल स्रोतों तथा जैव विविधता के संरक्षण के लिए संघर्षरत पर्यावरणविद शिक्षक कैलाश सामोता रानीपुरा का कहना है कि मानव का प्रकृति के साथ अलगाव या वियोग जीवन संकट की आहट है । इसलिए, मानव प्रजाति व मानवीय संस्कृति के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए, उसे प्रकृति संग योग करना ही होगा । योग की विभिन्न विधाओं को करने के लिए एक स्वस्थ प्राकृतिक परिवेश का होना बेहद जरूरी है । स्वस्थ वातावरण निर्माण के लिए, हमें पृथ्वी के श्रंगार पेड़ पौधों, प्राकृतिक जल स्रोतों, पर्वत श्रंखलाओ एवं यहां की पादप व प्राणी जातियों को संरक्षित करना बेहद जरूरी है । क्योंकि, जीवन के लिए ज़रूरी प्राणवायु प्रकृति के संरक्षण से ही शुद्ध व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रह सकती है । इसलिए हमें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मानवीय मूल्यों एवम् प्रकृति के संरक्षण के लिए, प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधनो के साथ योग रखकर मानवता को बचाना होगा ।
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