
बेटियां
ओस की इक बूंद सी होती हैं बेटियां।
स्पर्श खुरदरा हो तो रोती हैं बेटियां।।
रोशन करेगा बेटा तो एक कुल को।
दो दो कुलों की लाज होती हैं बेटियां।।
कोई नहीं है दोस्त एक दूसरे से कम।
हीरा अगर है बेटा तो मोती हैं बेटियां।।
कांटों की रांह पर ये खुद ही चलती रहेंगी।
औरों के लिए फूल बोती हैं बेटियां।।
विधि का विधान है यही समाज की है परम्परा।
अपने प्रिय को छोड़ पिया के घर जाती हैं बेटियां।।
आपके समान दर्द का हमदर्द साथी---
आर०एस०धनगर परिवर्तन
जिला अध्यक्ष-सीतापुर
लोकमाता अहिल्याबाई होलकर यूथ ब्रिगेड भारत
☎️ 9695836581
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