बच्चों में प्रारम्भ से ही वैश्विक दृष्टिकोण का विकास करें -- डा. जगदीश गाँधी, प्रख्यात शिक्षाविद् एवं संस्थापक, सी.एम.एस.


लखनऊ, 5 मार्च। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर (द्वितीय कैम्पस) द्वारा ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ का भव्य आयोजन आज विद्यालय के ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विद्यालय के प्री-प्राइमरी व कक्षा-1 व 2 के छात्रों ने जहाँ एक ओर ईश्वर भक्ति से परिपूर्ण अपने गीत-संगीत से सभी दर्शकों एवं अभिभावकों को मंत्रमुग्ध कर दिया तो वहीं दूसरी ओर सार्वभौमिक जीवन मूल्यों, विश्वव्यापी चिंतन, विश्व की सेवा के लिए तथा सभी चीजों में उत्कृष्टता विषय पर अपने सारगर्भित विचार प्रकट किये। इस अवसर पर समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताओं में सर्वोच्चता अर्जित करने वाले व वार्षिक परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को पुरष्कृत कर सम्मानित किया। 
    इस अवसर पर विद्यालय के मेधावी छात्रों व अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि हमारी संस्कृति ‘उदारचरितानाम, वसुधैव कुटुम्बकम’ की है और इन्हीं विचारों के अनुरूप हमें अपने बच्चों को विकास करना चाहिए और उन्हें वैश्विक दृष्टिकोण प्रदान करना चाहिए। प्रारम्भ से ही बच्चे के कोमल हृदय में दया, करुणा, भाईचारा, सहिष्णुता, प्रेम, एकता, अहिंसा और शान्ति के विचार डालें, तभी ये बच्चे बड़े होकर मानवता का कल्याण कर सकेंगे। सी.एम.एस. गोमती नगर (द्वितीय कैम्पस) की वरिष्ठ प्रधानाचार्या सुश्री मंजीत बत्रा ने कहा कि सी.एम.एस. अपने छात्रों का सर्वांगीण विकास कर ‘टोटल क्वालिटी पर्सन’ बनाने को दृढ़-संकल्पित है और यह कार्य अभिभावकों के सहयोग से ही संभव हो सकता है। प्रधानाचार्या सुश्री संगीता बनर्जी ने बच्चों की हौसलाअफजाई करने के लिए अभिभावकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
   आज सी.एम.एस. महानगर कैम्पस द्वारा भी ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ का आयोजन किया गया, जहाँ विद्यालय के मेधावी छात्रो को पुरष्कृत कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के छात्रों ने एक से बढ़कर एक शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रमों की इन्द्रधनुषी छटा बिखेरकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए सी.एम.एस. महानगर कैम्पस की प्रधानाचार्या डा. कल्पना त्रिपाठी ने कहा कि यदि स्कूल में आध्यात्मिकता, नैतिकता एवं चारित्रिक उत्कृष्टता का वातावरण होगा तो बालकों में भी यही गुण विकसित होंगे और ऐसे ही बालक आगे चलकर सामाजिक व्यवस्था में रचनात्मक बदलाव का कारण बनेंगे।

Pradeep ji Pal 
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