" बुढ़ापा  Vs.  वरिष्ठता" ...... दोनों के अंतर को समझें और जीवन का आनंद लें ।

" बुढ़ापा  Vs.  वरिष्ठता"

दोनों के अंतर को समझें और जीवन का आनंद लें ।

इंसान को उम्र बढ़ने पर...  
“ बूढ़ा” नहीं बल्कि .... 
“ वरिष्ठ ” बनना चाहिए । 

• “ बुढ़ापा ”...अन्य लोगों का आधार ढूँढता है,
 “ वरिष्ठता ”... लोगों को आधार देती है.
          
• “ बुढ़ापा ”... छुपाने का मन करता है,  
  “वरिष्ठता”...उजागर करने का मन करता है ।
        
• “ बुढ़ापा ”...अहंकारी होता है,
  “वरिष्ठता”...अनुभवसंपन्न, विनम्र व संयमशील होती है
         
• “बुढ़ापा”...नई पीढ़ी के विचारों से छेड़छाड़ करता है,
 “वरिष्ठता”...युवा पीढ़ी को बदलते समय के अनुसार, जीने की छूट देती है ।

• “बुढ़ापा”... "हमारे ज़माने में ऐसा था" की रट लगाता है, 
 “वरिष्ठता”... बदलते समय से अपना नाता जोड़ती है, और उसे अपना लेती है। 

• “बुढ़ापा”... नई पीढ़ी पर अपनी राय थोपता है, 
 “वरिष्ठता”... तरुण पीढ़ी की राय समझने का प्रयास करती है।

• “बुढ़ापा”... जीवन की शाम में अपना अंत ढूंढ़ता है,
 “वरिष्ठता”... जीवन की शाम में भी एक नए सवेरे का इंतजार करती है तथा युवाओं की स्फूर्ति से प्रेरित होती है ।
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“वरिष्ठता” और “बुढ़ापे” के बीच के अंतर को.... 
गम्भीरता पूर्वक समझकर, जीवन का आनंद पूर्ण रूप से लेने में सक्षम बनिए।

उम्र कोई भी हो....
सदैव फूल की तरह खिले रहिए....
उमंग उत्साह में रहिये....

Pradeep ji Pal 
www.palworldtimes.com
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