
प्रोफेसर अरविंद पाल साहब का निधन????????????????
इंदौर:- आज 30 May 2021 प्रसिद्ध शिक्षाविद व गुजराती महाविद्यालय के भूतपूर्व प्राचार्य प्रोफेसर अरविंद पाल साहब का आकस्मिक निधन हो गया है। वे 71 वर्ष के थे तथा कुछ समय से केंसर रोग से ग्रसित थे।
माननीय प्रोफेसर साहब अनुपम गुणों व कुशल व्यक्तित्व के धनी थे।पाल समाज के लिए तो एक गौरवशाली व्यक्तित्व थे लेकिन अन्य समाजो के लिए भी एक आदर्श हमेशा बने रहे।उनका व्यवहार सभी के लिए समदर्शी रहा। यदि कोई व्यक्ति एक बार उनसे मुलाकात कर लेता तो आजीवन उनका हो जाता तथा यह नही लगता था कि उनकी भेंट पहली बार उनसे हुई हो।यह उनके चुम्बकीय व्यक्तित्व का ही कमाल था।जिसके मृदुभाषी मिलनसारिता के कारण ही यह लगाव स्थापित हो जाता था।
*प्रोफेसर डॉक्टर अरविंद पाल साहब का जन्म महू तहसील के छोटे से कस्बे ग्राम गुजरखेड़ा में गोपाल प्रसाद जी पाल के घर हुआ था। बचपन में इनके पिता की एक दुर्घटना के कारण मृत्यु हो जाने से इनके मामा जी स्वर्गीय श्री मुरारीलाल पाल,क्षेत्रीय आयुक्त, क्षेत्रीय भविष्य निधि संगठन, क्षेत्रीय कार्यालय इंदौर के मार्गदर्शन व सानिध्य में शिक्षा दीक्षा पूर्ण हुई।
बचपन से ही वे बहुत ही मेघावी विद्यार्थी रहे और विलक्षण प्रतिभा के गुणों से परिपूर्ण माता सरस्वती की असीम कृपा से वे अध्ययन में तो प्रथम श्रेणी अर्जित करते ही थे लेकिन विद्यालय की अन्य रचनात्मक गतिविधियों लेखन कार्य व वादविवाद प्रतियोगिता में हमेशा अग्रणी भूमिका में रहे। एक विचारशील व्यक्तित्व व कुछ नया सीखने की ललक ने उन्हें बहुत जल्दी कुशल वक्ता व सफल नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित कर दिया।उनकी वाणी में माँ सरस्वती साक्षात के दर्शन को अनुभव किया जा सकता था। उनके मुखारबिंद से माधुर्य व ओजस्वी वाणी के रूप में शब्द हमेशा कर्ण प्रिय मिश्री समान लगते थे।
आदरणीय अरविंद पाल साहब ने शिक्षा पूर्ण करने के बाद अपने जीवन के कैरियर की शुरुआत साधारण लिपिक के रूप में कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय, इंदौर में सेवा आरंभ करके की थी।लेकिन उनके मन मे हमेशा कुछ अलग करने की अभिलाषा बाल्यकाल से ही बनी हुई थी, जिसके कारण उन्होंने केंद्रीय सरकार के कार्यालय से त्यागपत्र देकर एक शिक्षाविद के रूप में गुजराती महाविद्यालय में प्रोफेसरके रूप में सेवा आरम्भ कर दी और उनके विशिष्ट गुणों व मेहनत के कारण उनको गुजराती महाविद्यालय में प्राचार्य का पदभार देकर नियुक्ति कर सम्मानीत किया गया जो बहुत ही गर्व की बात है।
एक सफल शिक्षाविद के रूप में उनकी ख्याति चहुदिशा में फैलने लगी और बहुत बड़े बड़े गरिमामय कार्यक्रमों के संचालन का कार्यभार उनको सौपा गया, जिसे उन्होंने अपने ज्ञान व अनुभवों से सफलता प्राप्त की। जिस कार्यक्रम का संचालन में उनका नाम लिखा जाता था तो लोगो का मानना था कि वह कार्यक्रम शत् प्रतिशत सफलता अर्जित अवश्य करता था।इस कारण उन्हें अनेकों सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम, क्रीड़ा प्रतियोगिता की अनेकों संस्थाओं में सफलतापूर्वक संचालन व मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ। महू में प्रति वर्ष ब्रिगेडियर काले की स्मृति में आयोजित फुडबाल प्रतियोगिता"के संचालन के लिए व होलिका उत्सव के दौरान फाग उत्सव के रूप में मनाने जाने वाले टेपा सम्मेलन "के लिए सदैव याद किये जाते रहेंगे।
*वे रक्तदान शिविर आयोजन के लिये हमेशा स्मरण किये जायेंगे।उन्होंने अनेकों बार रक्तदान शिविर आयोजित किया और लोगों को रक्त दान करने
के लिए प्रेरित किया। छात्रों में उनकी अलग ही पहचान स्थापित थी।उनको हजारों शिष्य रहे जो आज बड़े बड़े ओहदों व संस्थाओं व राजनैतिक दलों में नेतृत्व कर रहे है।*
वे अपने बाद भरा पूरा परिवार छोड़ गए है उनका पुत्र चिकित्सक(MBBS,MD) है वे बेटी का विवाह भी सम्पन्न खुशहाल परिवार में किया है अतः उन्होंने अपने पारिवारिक दायित्व को बी बखूबी निभाया है,कर्तव्य पूर्ण कर ब्रह्मलीन हो गए है।
उनके आकस्मिक निधन का बहुत ही दुख हुआ है और आज हमनें एक मार्गदर्शक को खो दिया है।उनकी कमी आजीवन बनी रहेगी।जिसकी पूर्ति असंभव है।परमात्मा से विनय है कि दिवंगत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान प्रदान करे व इसदुख सहने की शक्ति प्रदान करे।
ॐ शाँति
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