पशुपालक, मेशपालक समाज को हर आर्थिक क्षेत्रों में लम्बी लकीर खिंचने की जरूरत


    गड़रिया (पाल, बघेल, धनगर,रायका रबारी, देवासी, कुरूबा भेड़पालक, मेशपालक, पशुपालक) समाज को अपनी निजी व्यवसाय से इतर, अलग काम भी करने की जरूरत है। समाज को अब भेड़पालन, पशुपालन से अलग हटकर अन्य क्षेत्रों में व्यवसाय करने कि जरूरत है तभी समाज का सम्पूर्ण विकास हो सकता है। गड़रिया सार्वभौमिक जाति है। सारे विश्व में गड़रिया जाति पाई जाती है। इसलिए हमें अपना विश्वव्यापी दृष्टिकोण विकसित करके विभिन्न देशों में निवास करने वालों गड़रिया समाज से संवाद बनाकर आगे बढ़ना चाहिए। तकनीकी युग में हर हाथ में इण्टरनेट है। अभी नहीं तो फिर कभी नहीं। 
    समाज को अब केवल एक क्षेत्र में सीमित नहीं रहना चाहिए, क्योंकि ये समय की मांग है युवा वर्ग के लोगों को इस बात को समझने कि जरूरत है कि हमारा स्वयं का और समाज का विकास तभी हो सकता है जब हम हर आर्थिक क्षेत्रों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। इन युवा वर्गों को समाज में संन्देश देने और लोगों को हर आर्थिक  क्षेत्रों में भागेदारी करने के लिए प्रेरित करना अत्यंत आवश्यक है। तभी समाज और देश का विकास हो सकता है समाज के लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में जोखिम लेने में भी नहीं हिचकना चाहिए। क्योंकि जोखिम लेने वाला ही बिजनेसमैन, उद्योगपति बनता है। कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, लहरों से डरकर नैया पार नहीं होती। जवानी सोचती नहीं वरन् जवानी करती है। 
    आपको अगर अगर लंबी लकीर खींचनी है तो थोड़ा रिस्क लेना ही पड़ेगा। समाज के लोगों से गुजारिश है कि आप लोग नये-नये रोजगार के तरीके अपनाये और अपने जीवन को को सुखमय बनाये। 
    जय हिन्द जय पशुपालक समाज।
    जय माँ अहिल्या जय भीमाबाई।
    लेखक: श्रवण पाल (अन्नू), वाराणसी उत्तर प्रदेश

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