
आख़िर किस लिए और क्यूं ? एक सभ्य समाज और भय मुक्त देश की आपसे से गुजारिश की थी । मगर ये क्या दिया आपने ? हर एक नागरिक की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है। क्यूं कि सरकार को नागरिक चुनते है। सरकार कभी जनता को नहीं चुनते। दशकों से भारत में यही समस्या रही है। पहले सरकार की वजह से लोग बागी बन जाते थे। ज़मीदारी ख़त्म हुई और लोगों ने चैन की सांस लेना शुरू किया कि आने वाली पीढ़ियां काम से काम इस गुलामी की दासता से मुक्त हुई मगर आज़ की स्थिति को देखकर लगता है पहले वाली गुलामी जायदा अच्छी थी। कम से कम लोगों पता था कि उनके दायरे क्या है इस लिए चुप रहते थे।
मगर आज तो अधिकार होते हुए भी आप चुप है क्यों ? आज़ आप उन पर भरोसा करते है जिनसे आपको उम्मीद भी नहीं मगर आपके पास कोई रास्ता भी नहीं। इस लिए आपकी हर एक परस्थिति का ये लोग फायदा उठाते हैं। अगर आप गौर करेंगे तो पहले संख्या कम थी मगर संगठित थे आज ज्यादा है तो बिखर गए। जिनकी संख्या ज्यादा होती है सत्ता उनकी हो होती है फिर आप सत्ता में क्यूं नहीं ?
वाे इस लिऐ क्यूं कि आप बस खुद के बारे में ही सोचते हैं। परिवार के बारे में नहीं, क्यों परिवार से समाज बनता है।
अगर यही सब चला तो अगला नंबर आप और हम कोई भी हो सकता है। अब संगठित होने का वक्त है। नहीं तो ये कुछ सत्ता के लालची लोग आपको तितर बितर कर देंगे। और ऐसे ही मारे जायेंगे हम????????????????
धर्मेन्द्र बघेल
फिल्म लेखक और निर्देशक
मुंबई 400102
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