बड़ी चुनौती, बड़ा इरादा; खजाना भरने के लिए आम लोगों पर अतिरिक्त बोझ नहीं

पिछले छह वर्षों में पूरी दुनिया यह बात बखूबी समझ गई है कि पीएम नरेंद्र मोदी की टीम के काम करने का अंदाज अलग होता है। सोमवार को पेश आम बजट 2021-22 का रंग भी वैसा ही है यानी जब चुनौतियां बड़ी हों, तो उसके सामने इरादे भी उतने ही बुलंद होते हैं। मकसद साफ है कि कोरोना महामारी की वजह से पटरी से उतर चुकी देश की इकोनॉमी ना सिर्फ रफ्तार भरे बल्कि लंबे समय तक इसमें तेज विकास दर हासिल होती रहे। कोरोना की तबाही ने देश के स्वास्थ्य सेक्टर को लेकर जो चिंता पैदा की है, उससे निपटने का इसमें पूरा रोडमैप है।

इकोनॉमी और रोजगार बड़ी चुनौती से निपटने का खाका तैयार

नए कृषि कानूनों के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने जिस तरह से निजीकरण व सुधारों की रफ्तार और तेज करने का एलान किया है, उससे साफ है कि कोरोना बाद के माहौल में भारत के लिए जो अवसर बन रहे हैं, घरेलू राजनीति की वजह से उन्हें गंवाने का जोखिम नहीं उठाया जाएगा। राजनीतिक रूप से इकोनॉमी और रोजगार बड़ी चुनौती है और बजट में उससे निपटने का खाका तैयार है।

वित्त मंत्री ने बजट भाषण में आस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने वाली भारतीय टीम का उल्लेख किया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली फरवरी, 2021 को सुबह 11 बजे लोकसभा में अपना बजट अभिभाषण पढ़ना शुरू किया। बतौर वित्त मंत्री यह उनका तीसरा आम बजट था। इससे पहले सुबह पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में संसद भवन में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आम बजट 2021-22 के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। वित्त मंत्री ने एक घंटा 50 मिनट चले बजट अभिभाषण की शुरुआत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में योगदान देने वाले हर देशवासी के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की और हाल ही में बेहद विपरीत हालात में आस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने वाली भारतीय टीम की सफलता का भी उल्लेख किया।

वित्त मंत्री ने बजट को छह स्तंभों पर पेश किया

उन्होंने अपने बजट को छह स्तंभों - स्वास्थ्य व कल्याण, भौतिक व वित्तीय पूंजी संरचना, आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास, मानव पूंजी में नवजीवन का संचार, इनोवेशन और अनुसंधान व विकास, न्यूनतम सरकार व अधिकतम शासन पर पेश किया। उनके अभिभाषण के राजनीतिक रंग भी कम नहीं थे। खास तौर पर जिस तरह से जिन राज्यों में चुनाव करीब हैं, उनके लिए गिन-गिन कर घोषणाएं की गई हैं। इससे सरकार की राजनीतिक सोच का भी पता चलता है कि वह विकास को ही चुनावी हथियार बनाएगी।

वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का विशेष प्रावधान

कोरोना महामारी से उबरने में वैक्सीन की भूमिका को देखते हुए उन्होंने 35 हजार करोड़ रुपये का विशेष प्रावधान किया है। इससे पूरे देश में वैक्सीन कार्यक्रम तेज होगा। वित्त मंत्री ने कई मंत्रालयों के बजटीय आवंटन में कटौती भी की है, जिससे खास तौर पर सामाजिक विकास से जुड़ी परियोजनाओं पर असर पड़ेगा।

आत्मनिर्भर भारत के नारे को विस्तार देती घोषणाएं

इस बार की बजट घोषणाएं एक तरह से मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत के नारे का बड़ा विस्तार हैं। ढांचागत क्षेत्र के लिए र्फंंडग में 34 फीसद की वृद्धि की गई है जो खजाने की सेहत को देखते हुए नाकाफी नहीं कही जा सकती। इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए वित्त जुटाने के लिए एक नए वित्तीय संस्थान के गठन की घोषणा की गई है। बीमा सेक्टर में एफडीआइ

सीमा को 49 से बढ़ाकर 74 फीसद करने और सरकारी बैंकों व बीमा कंपनियों के निजीकरण का एलान कर वैश्विक बिरादरी को यह संकेत भेजा गया है कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब उनके लिए भारतीय बाजार के दरवाजे बंद करना नहीं है। भारतीय उद्यमियों और कंपनियों को वो सारे प्रोत्साहन दिए गए हैं, जिनसे भारत नई उभरती वैश्विक व्यवस्था में एक भरोसेमंद सप्लाई चेन स्थापित कर सके।

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