विवाह दो शरीरों और आत्माओं का मिलन है।

श्रीमती दीपा एवं श्री धर्मेन्द्र कुमार बनिया    दिनाँकः 9 दिसम्बर 2020
इन्दौर मध्य प्रदेश 
 हार्दिक बधाइयाँ
आदरणीय महोदय/महोदया, 
    परमपिता परमात्मा की कृपा एवं पूर्वजों के आशीर्वाद से आपकी लाडली सुपुत्री सौ. रेवा संग चि. शिभम का ‘शुभ विवाह’ दिनाँक 7 दिसम्बर 2020 को सम्पन्न उल्लासपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। इस शुभ अवसर पर आमंत्रित करने के लिए हम दोनों आपके अत्यन्त आभारी हंै। आपने पारिवारिक एकता तथा सामाजिक दायित्वों की पूर्ति हेतु हर पल जीते हुए पारिवारिक एवं सामाजिक एकता तथा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के आदर्श को जीवन्त स्वरूप प्रदान किया है। इस हेतु समाज सदैव आपका ऋणी रहेगा। साथ ही समाज सदैव आपके व्यक्तित्व से प्रेरणा एवं मार्गदर्शन ग्रहण करता रहेगा।    . 
    सौ. रेवा की पूज्यनीया दादीजी,  पूज्यनीय दादाजी के साथ ही आपने अपने प्राणों से भी प्रिय सौ. रेवा को उच्च आध्यात्मिक संस्कारों से संवारा हंै। हमें पूरा विश्वास है कि वह जिस घर में जा रही है उस घर को वह अपनी सेवाभावना से स्वर्ग बनायेगी। हम नव वर-वधु सौ. रेवा संग चि.  शिभम के सुखी, सफल एवं समृद्ध वैवाहिक जीवन हेतु पारिवारिक एकता के विचार आशीर्वाद स्वरूप प्रेषित कर रहे हैं:-
1.    विवाह दो शरीरों और आत्माओं का मिलन है। शरीर और आत्मा दोनों ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित रहते हैं। यह मिलन आध्यात्मिक मिलन है जो आजीवन जुड़ा रहता है। वही विवाह सफल होता है जहाँ सांसारिक और आध्यात्मिक 
बन्धन दोनों का सामंजस्य है।
2.    विवाह दो के बीच नहीं तीन अर्थात वर-वधु तथा परमात्मा के बीच होता है। परमात्मा को साक्षी मानकर वर-वधु विवाह की सारी प्रतिज्ञाऐं करते हैं। 
3.    विवाह स्त्री-पुरूष का आत्मिक और हार्दिक मिलन है। मस्तिष्क और हृदय की आपसी स्वीकृति है। स्त्री-पुरूष दोनों का कर्तव्य है कि वे दोनांे एक दूसरे के स्वभाव और चरित्र को समझें। दोनों के आपसी सम्बन्ध अटूट हों। ईश्वर को साक्षी मानकर एक दूसरे के प्रति प्रेमपूर्ण व्यवहार तथा एक अच्छा जीवन साथी बनने का उनका एकमात्र लक्ष्य होना चाहिये।
4.    वैवाहिक बन्धन नैतिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक हैं। वैवाहिक बन्धन में केवल शारीरिक बन्धन को महत्व न देकर आध्यात्मिक गुणों के द्वारा ईश्वर की निकटता के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। तथापि ईश्वर द्वारा निर्मित इस सृष्टि को आगे बढ़ाने में योगदान देना चाहिए।
परमपिता परमात्मा की साक्षी में नव वर-वधू की आपसी सहमति:-
1.     आज से हम एक-दूसरे के साथ अपने व्यक्तित्व को मिलाकर नये जीवन की सृष्टि करते हैं। 
2.     पूरे जीवन भर एक-दूसरे के मित्र बनकर रहेंगे और बड़ी से बड़ी कठिनाईयांे एवं विपत्तियों में एक-दूसरे             पूरा-पूरा विश्वास, स्नेह तथा सहयोग देते रहंेगे।
3.    जीवन की गतिविधियों के निर्धारण में एक-दूसरे के परामर्श को महत्व देंगे।
4.    एक-दूसरे की सुख-शांति तथा प्रगति-सुरक्षा की व्यवस्था करने में अपनी शक्ति, प्रतिभा, योग्यता तथा 
    साधनों आदि को पूरे मनोयोग एवं ईमानदारी से लगाते रहेंगे।
    श्रद्धा एवं सम्मान सहित,
भवदीय 
ं 
    प्रदीपजी पाल
श्रीमती उमा सिंह 
    संस्थापक-संचालक, पाल वल्र्ड टाइम्स वेबसाइट, लखनऊ
वाट्सअप 9839423719

पाल वर्ल्ड टाइम्स की खबरों को शेयर करें और सोशल मीडिया पर भी फॉलो करना न भूलें।