अलविदा मसाला किंग! महाशय धर्मपाल गुलाटी ने तांगा बेचकर की थी मसाला कारोबार की शुरुआत,

नई दिल्ली: मसाला ब्रांड एमडीएच के टेलीविजन विज्ञापनों के जरिए घर-घर में अपनी पहचान बनाने वाले एमडीएच के दादाजी के नाम से मशहूर महाशय धर्मपाल गुलाटी ने तांगा बेचकर दिल्ली के करोल बाग से अपने मसाला कारोबार की शुरुआत की. वह लगातार आगे बढ़ते रहे और 94 वर्ष की उम्र में देश के एफएमसीजी क्षेत्र में सबसे अधिक वेतन पाने वाले सीईओ बने. सफलता की मिसाल कायम करने वाले मसाला किंग अब हमारे बीच नहीं रहे. उनका बृहस्पतिवार (3 दिसंबर 2020) को 97 वर्ष की उम्र में निधन हो गया.

विभाजन के बाद धर्मपाल गुलाटी आ गए थे भारत:
मसाला किंग धर्मपाल गुलाटी का जन्म सियालकोट (अब पाकिस्तान में) में 27 मार्च 1923 को हुआ था और विभाजन के बाद वह भारत आ गए. उनका परिवार विभाजन के दौरान अपना सब कुछ छोड़कर दिल्ली में रहने आ गया. उनके पिता की सियालकोट में मसालों की दुकान थी, जिसका नाम महाशियां दी हट्टी (एमडीएच) था, लेकिन दुकान को 'देगी मिर्च वाले' के नाम से जाना जाता था.गुलाटी को कक्षा पांच के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा. इसके बाद उन्होंने लकड़ी का काम सीखा, साबुन फैक्टरी, कपड़े की फैक्टरी और चावन मिल में काम किया.

650 रुपए में खरीदा था एक तांगा:
एमडीएच की वेबसाइट पर उनकी जीवनी में लिखा है कि विभाजन के बाद वह 1,500 रुपये के साथ सितंबर 1947 में दिल्ली पहुंचे. उन्होंने 650 रुपये में एक तांगा खरीदा और कुछ दिनों के लिए इसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड तक और करोल बाग से बारा हिंदू राव तक चलाया. उन्होंने अक्टूबर 1948 में करोल बाग के अजमल खान रोड में एक छोटी सी दुकान खोलकर अपने पुश्तैनी कारोबार को फिर से शुरू करने के लिए अपनी गाड़ी बेच दी और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. व्यवसाय बढ़ने के साथ ही वह खुद देगी मिर्च, चाट मसाला और चना मसाला जैसे एमडीएच के सबसे प्रसिद्ध उत्पादों के टेलीविजन विज्ञापनों में दिखाई देने लगे। इस समय एमडीएच के 50 से अधिक उत्पाद हैं.

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