"अमरलेख" के बैनर तले पौष माह के शुरुआती दिनों में दिनांँक २१/१२/२०२५ दिन शनिवार को (ऑनलाइन काव्यगोष्ठी

                              अमरलेख" हिंदी साहित्यिक संस्था अन्तर्राष्ट्रीय मंच इटावा उ०प्र०) अध्यक्ष परम आदरणीय डॉ राम प्रकाश "पथिक" कासगंज एवं मुख्य अतिथि व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर राम नरेश पाल लखनऊ एवं आयोजक कवि अमरपाल पाल उन्नाव के सानिध्य में आयोजित की गई। जिसमें देश प्रदेश के कवि और कवयित्री समाजसेवी सम्मिलित हुए।

                               सर्वप्रथम लहरपुर सीतापुर से पूनम देवी "राज" ने सरस्वती वंदना अपनी सुरीली आवाज में पढ़ी। पुणे से वरिष्ठ कवयित्री पद्माक्षी शुक्ल "अक्षि" ने गुरु देव पर भावविभोर होकर सुंदर काव्यपाठ सुरीली आवाज में किया। अजमेर राजस्थान से डाॅ छाया शर्मा ने खूबसूरत पंक्तियों से वाहवाही बटोरी। मैनपुरी से डॉक्टर अरविंद पाल ने अपने हिंदू नववर्ष की रचना खास अंदाज में पढ़कर सबको गुदगुदाया। रविशंकर यादव ने पेंशन गीत पढ़ा। डॉ अशोक पाल "आशु" और योगेन्द्र पाल ने प्रेम का गीत पढ़ा। पुनः पूनम देवी "राज" ने सामाजिक चिंतन युक्त रचना पढ़कर सबको सोचने पर मजबूर कर दिया। 

                                पटल के सबसे छोटे हस्ताक्षर अर्जेंट सिंह पाल ने युवाओं की नयी सोच को अग्रसर किया। "अमरलेख" की लाडली बहन सरोज बघेल फिरोजाबाद ने चिंतन युक्त रचना पढ़कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। पटल के संरक्षक डॉ राजेन्द्र मिलन ने चुटीले अंदाज में काव्यपाठ किया। बल्लभगढ़ हरियाणा से ओज के श्रेष्ठ कवि पुनीत पांचाल ने श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर विसंगतियों पर रचना पढ़ी। अपने दोहे के रूप में एक अलग पहिचान बनाने वाले उन्नाव के कवि एवं कार्यक्रम के आयोजक ने ठंडी के दोहे पढ़कर ठंड का अहसास कराया। संस्था के संस्थापक रवि पाल "खामोश" इटावा एवं सचिव डॉ संगीता पाल जौनपुर व्यक्तिगत कारणों से पटल पर उपस्थित नहीं हो सके। 

                                 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व्यंग्यकार राम नरेश पाल लखनऊ एवं श्रेष्ठ गीतकार सोनू पाल उन्नाव तकनीकी कारणों से अपना काव्यपाठ करने में असमर्थ रहे। और अंत में गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे श्रेष्ठ एवं वरिष्ठ कवि डॉ राम प्रकाश "पथिक" कासगंज ने सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई शानदार रचना एवं बेटियों की महत्ता पर सुंदर गीत सुना कर गोष्ठी को धन्य कर दिया। कार्यक्रम के अंत में सभी का आभार कवि अमरपाल पाल उन्नाव ने व्यक्त किया। संचालन श्रेष्ठ गीतकार कवि अमर पाल "अमर" रायबरेली ने किया।

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