
हे माँ इंदिरा तुम्हें प्रणाम ????
अति दयालु तुम उच्च महान,
कर पावन नवयुग उत्थान।
राजनीति की महा कुशल,
हे माँ इंदिरा तुम्हें प्रणाम।।
जाते ही जाते दे अश्रु नयन!
सारे भारत को कर अनाथ।।
अपनाया तुमने कर्तव्य मार्ग।
हे माँ इंदिरा तुम्हें प्रणाम।।
देश प्रेम अनुरक्ति महान।
साहस भी था सिंह समान।।
नहीं झुकीं तुम टूट गईं !
हे माँ इंदिरा तुम्हें प्रणाम।।
???? मेरी साहित्य साधना की श्रोत लौह नारी परमश्रद्धेय पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी को उनके बलिदान दिवस 31.10.1984 को प्रकटित द्वितीय रचना--
घनश्याम सिंह
वरिष्ठ पत्रकार व त्रिभाषी साहित्यकार
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