
पुलवामा के शहीदों को मेरा नमन,
मैं चुनके लाया हूँ कुछ श्रद्धा -सुमन।
सूरज नहीं डरता कभी काले मेघों से,
इसलिए महफूज है मेरा अक्खा वतन।
किसी माँ की आँखों के तारे थे वो,
किसी माँ की कोख के दुलारे थे वो।
उजड़ा था कितनी मांग का सिन्दूर,
सींचे हैं खूँ से जमीं सींचेंगे ये चमन,
मैं चुनके लाया हूँ कुछ श्रद्धा -सुमन।
चालीस जवानों की शहादत हुई थी,
गंगा-यमुना की लहरों से चीख उठी थी।
अर्थी को देख-देख ये रोया था गगन,
मैं चुनके लाया हूँ कुछ श्रद्धा -सुमन।
पुलवामा के शहीदों को मेरा नमन,
सदा ही अमर रहेगी उनकी कुर्बानी,
ले लो सलामी तू वीर बलिदानी।
ओढ़े थे तू तिरंगा बनाकर कफन,
हम चुनके लाए हैं कुछ श्रद्धा-सुमन।
पुलवामा के शहीदों को मेरा नमन।
जय हिन्द!! जय हिन्द की सेना!!
रामकेश एम.यादव (कवि,साहित्यकार),मुंबई
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