
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में थोड़ा व्यायाम और अच्छा खानपान दोनों ही जरूरी हैं। इससे आपका दिल तंदुरुस्त रहता है और आपकी उम्र भी लंबी हो सकती है। दिल को स्वस्थ रखने के लिए डॉ रवि पाल द्वारा दिए गए कुछ सुझाव।
1 :- भोजन की मात्रा पर ध्यान दें मोटापे से रक्तचाप बढ़ता है और फिर दिल की अनेको बीमारियां होने का सदैव अंदेशा रहता है। इसलिए हमेशा अपने शरीर की जरूरत के अनुसार खाना खाएं। तेल, दूध एवं दूध से बनी वस्तुएं और लाल मांस में नुकसानदेह चिकनाई होती है जो आपका कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाकर आपके हृदय को अस्वस्थ करती है। लेकिन मछली, अंडा, झिल्ली उतारा हुई दालें, टोफू, किनुआ इत्यादि से पोष्टिक प्रोटीन एवं फायदेमंद चिकनाई दोनों मिलती है। बाजार में मिलने वाले अधिकतर खाने की वस्तुओं में अच्छा पौष्टिक तेल नहीं होता। इस कारण इनका उपभोग कम से कम करना चाहिए। चीनी एवं मैदे का उपयोग कम से कम करना चाहिए और भोजन में पौष्टिक तत्व जैसे सूखे मेवे, मैदा इत्यादि का सेवन कम करें। हरि सब्जियां और मौसमी फलों की मात्रा बढ़ाएं।
2 :- घर के खाने को हमेशा प्राथमिकता दें घर पर भोजन करना अधिक पौष्टिक होता हैं, क्योंकि आप स्वयं सब्जी, मसाले, चिकनाई एवं पकाने की विधि का चयन करते हैं। आप खाने को ज्यादा स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें विभिन्न प्रकार के मसाले डाल सकते हैं और नमक एवं चीनी जैसे हानिकारक तत्वों की मात्रा कम कर सकते हैं। उबालकर या कम तेल में खाना बनाने की चेष्टा करें और जहां तक हो सके, हमेशा ताजा खाना खाएं। दिल के मरीजों के लिए बादाम व पिस्ता फायदेमंद है। उन्हें ग्रीन-टी से भी लाभ होता है लेकिन घी, मक्खन, अधिक नमक, मिर्च-मसाले व तला-भुना भोजन कम से कम खाना चाहिए। शरीर को वसा की जरूरत हमेशा रहती है इसलिए इसे भोजन से पूरी तरह हटाया नहीं जा सकता। दिनभर में 2-3 चम्मच घी व 4-5 चम्मच तेल का प्रयोग कर सकते हैं।
3 :- अधिक फाइबर वाला खाना खाएं साबूत दालें-अनाज, सब्जियां जैसे गाजर, टमाटर आदि में ना घुलने वाला फाइबर होता है। दलिया, सेम, लोभिया सूखे मेवे और फल जैसे सेब, नींबू, नाशपाती, अनानास आदि में घुलनशील फाइबर होते हैं। फाइबर युक्त भोजन अधिक समय तक पेट में रहता है जिसके कारण पेट भरा हुआ महसूस होता है और खाना भी कम खाया जाता है। इसी कारण वजन भी कम होता है। फाइबर युक्त भोजन पाचन के समय शरीर से वसा निकाल देता है, जिसके कारण कॉलेस्ट्रॉल कम होता है व हृदय अधिक तंदुरुस्त होता है। फाइबर युक्त भोजन से अधिक ऊर्जा मिलती है जिसके कारण व्यायाम में थकान कम होती है। फाइबर युक्त भोजन से शरीर व हृदय दोनों सशक्त होते हैं।
4 :- खाने में नमक और पहले से तैयार भोजन का सेवन कम से कम करें भोजन में अधिक नमक की मात्रा होने से रक्तचाप बढ़ जाता है। इस कारण हृदय में कई बीमारियां होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
5 :- 7-8 घंटे की नींद लें व मेडिटेशन करें। तनाव लेने से बचें। मांसाहार न करें। डाइट में फल और सब्जियों को शामिल करें। ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखना हार्ट अटैक से बचने का महत्त्वपूर्ण तरीका है। नियमित रूप से दवाएं लें और कम से कम नमक खाने की आदत बनाएं।
हार्ट अटैक के लक्षण :-
हार्ट अटैक की स्थित में व्यक्ति के सीने में तेज दर्द होता है। शरीर में ऐंठन भी होने लगती है। तेजी से पसीना आता है। सीने में जलन, उल्टी भी हो सकती है। महिलाओं के मामले में उदर में तेज दर्द होता है। कार्डियक अरेस्ट और अटैक में फर्क होता है। ऐसे में जल्द मरीज को अस्पताल ले जाने की व्यवस्था करे। छाती का दर्द और हार्ट अटैक हृदय की किसी मांसपेशी को नुकसान खून की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण होता है। हार्ट अटैक तब पड़ता है जब हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनी में रक्त पहुंचाने में बाधा उत्पन्न होती है। यह बाधा धमनियों में वसा जैसे पदार्थों के जम जाने के कारण पैदा होती है। वसा का यह जमाव ही खून के थक्के को फाड़ता है और धमनी को बाधित करता है। इससे हार्ट अटैक पड़ता है।
कार्डियक अरेस्ट हो तो क्या करें? :-
इमरजेंसी सर्विसेज 108 पर कॉल करें और सीपीआर देना शुरू करें। हार्ट बंद होने की स्थिति में सीपीआर देना ज्यादा फायदेमंद होता है। इससे हार्ट के दोबारा सक्रिय होने की संभावना रहती है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले व्यक्ति की नब्ज का मुआयना किया जाता है। यह नब्ज उसके गले के मध्य से दाईं या बाईं तरफ जांची जाती है। यदि नब्ज गायब होती है तभी हम सीपीआर का प्रयोग कर सकते हैं। हमें उसकी सांस की जांच करनी चाहिए। सीपीआर केवल उस व्यक्ति में किया जाता है जिसकी न तो सांस चल रही हो और न नब्ज। सीपीआर छाती के मध्य में 30 बार छाती दबा कर और उसके बाद दो बार सांस देकर करना चाहिए। यह प्रक्रिया 13 सेकंड के अंदर पूरी हो जानी चाहिए (एक मिनट में सौ बार)। इस दबाव की प्रक्रिया की गहराई दो ढाई सेंटीमीटर से पांच सेंटीमीटर होनी चाहिए। (लेकिन यह प्रक्रिया मरीज की आयु के हिसाब से दी जाती है)। यह प्रक्रिया तब तक करनी चाहिए जब तक कोई समुचित चिकित्सीय सहायता न मिल जाए। अगर दो व्यक्ति हैं तो लगातार सीपीआर दें। यह क्रम नहीं टूटना चाहिए।
डॉ रवि पाल (MBBS, MD) नई दिल्ली
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