21 अगस्त - अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के पीड़ितों का स्मरण और श्रद्धांजलि दिवस पर युगानुकूल समाधानपरक विशेष लेख

21 अगस्त - अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के पीड़ितों का स्मरण और श्रद्धांजलि दिवस पर
युगानुकूल समाधानपरक विशेष लेख
इस प्यारी धरती माता को मानव निर्मित युद्धों तथा आतंकवाद से पूरी तरह से
मुक्त कराना ही दिवंगत तथा पीड़ितों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी
- प्रदीप कुमार सिंह, लखनऊ
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आतंकवाद के पीड़ितों को स्मरण और श्रद्धांजलि के लिए 21 अगस्त को अन्तर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया था। अकेले 2017 में आतंकवाद से होने वाली सभी मौतों में से लगभग तीन-चैथाई सिर्फ पाँच देशों में थे - अफगानिस्तान, इराक, नाइजीरिया, सोमालिया और सीरिया। संयुक्त राष्ट्र के एक बयान के अनुसार, यह दिन आतंकवाद के पीड़ितों को उनकी जरूरतों का समर्थन करने और उनके अधिकारों को बरकरार रखने की अनुमति देने के लिए है।
भारत द्वारा जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लिये जाने के मुद्दे पर 16 अगस्त को बंद कमरे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक शुरू हो गई। कश्मीर के मुद्दे पर विश्व के कई देशों से दुत्कारे जाने के बाद पाकिस्तान ने अपने आका चीन से गुहार लगाई। इसके बाद चीन ने यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया. ..पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन ने परिषद में बंद कमरे में विचार-विमर्श करने के लिए कहा था। इधर बैठक से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फोन किया है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक ट्रंप और इमरान के बीच करीब 12 मिनट तक बातचीत हुई। इस बैठक से पहले इमरान का डोनाल्ड ट्रंप को फोन करना काफी अहम माना जा रहा है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में लोकतंत्र नाम मात्र के लिए है। वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान सरकार के सारे निर्णय सेना तथा आतंकवादियों द्वारा लिये जाते हैं। पाकिस्तान ने परमाणु हमले की धमकी दी है। भारत ने प्रतिक्रिया में कहा है कि वह विशेष हालात में पहले परमाणु प्रहार से पीछे नहीं हटेगा। ज्ञातव्य हो कि भारत की परमाणु नीति ‘नो फस्र्ट यूज’ की है।
आतंकवाद, हमारे दौर का एक सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दा और अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। ताजिकिस्तान से लेकर यूनाइटेड किंगडम और बगदाद से लेकर बार्सिलोना तक इन बेरहम हमलों ने हम सबको भीतर तक हिला कर रख दिया है। कोई देश खुद को इससे बचा हुआ नहीं समझ सकता। दुनिया में लगभग हर देश के लोग आतंकवादी हमलों के शिकार हो रहे हैं। विश्व में शान्ति बनाये रखने के लिए गठित संयुक्त राष्ट्र संघ स्वयं बार-बार इसके निशाने पर रहा है। इराक में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर हुए हमले में 21 लोगों की जान गई थी।
11 सितंबर 2001 के हमले संयुक्त राज्य अमेरिका पर अल-कायदा द्वारा समन्वित आत्मघाती हमलों की एक श्रंृखला थी। उस दिन सबेरे, 19 अल कायदा आतंकवादियों ने चार वाणिज्यिक यात्री जेट वायुयानों का अपहरण कर लिया। अपहरणकर्ताओं ने जानबूझकर उनमें से दो विमानों को वल्र्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयार्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया, जिससे विमानों पर सवार सभी लोग तथा भवनों के अंदर काम करने वाले अन्य अनेक लोग भी मारे गए। दोनों भवन दो घंटे के अंदर ढह गए, पास की इमारतें नष्ट हो गईं और अन्य क्षतिग्रस्त हुईं। अपहरणकर्ताओं ने तीसरे विमान को बस वाशिंगटन डी.सी. के बाहर, आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटागन में टकरा दिया। अपहरणकर्ताओं द्वारा वाशिंगटन डी.सी. की ओर पुनर्निर्देशित किए गए चैथे विमान के कुछ यात्रियों एवं उड़ान चालक दल द्वारा विमान का नियंत्रण फिर से लेने के प्रयास के बाद, विमान ग्रामीण पेंसिल्वेनिया में शैंक्सविले के पास एक खेत में जा टकराया। किसी भी उड़ान से कोई भी जीवित नहीं बचा। इन हमलों में अनेक देशों के लगभग 3,000 से अधिक बेकसूर लोग तथा 19 अपहरणकर्ता मारे गए।
जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए और 20 से अधिक घायल हो गए। हमले के वक्त 2547 जवान 78 वाहनों के काफिले में जम्मू से श्रीनगर जा रहे थे। इसी दौरान जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदी कार से उनकी बस में टक्कर मार दी। धमाका इतना जबरदस्त था कि बस के परखच्चे उड़ गए। 10 किलोमीटर तक धमाके की आवाज सुनाई दी। यह हमला आतंकी आदिल अहमद ने किया। पिछले साल ही जैश में भर्ती होने वाला आदिल कश्मीर के गुंदीबाग काकपोरा का रहने वाला था। जम्मू-कश्मीर में अभी मुख्य रूप से 10 से ज्यादा आतंकी संगठन सक्रिय हैं। इन पर भारत सरकार ने बैन लगाया हुआ है। इसके पूर्व मुम्बई में दो बार बड़े आतंकी हमले तथा लोकतंत्र का केन्द्र भारतीय संसद पर आतंकी हमला हो चुका है।
वर्तमान में आतंकवाद ने किसी प्रत्यक्ष युद्ध से ज्यादा भयानक रूप धारण कर लिया है। आतंकवाद शब्द का अर्थ ही है आतंक फैलाना। आतंकवाद का वैज्ञानिक तथा राजनैतिक अर्थ यह है कि अनिश्चितता तथा अव्यवस्था पैदा करना। आज आतंकवाद अन्तर्राष्ट्रीय समस्या बन गया है। आंतकवादी निम्नलिखित विधियों से राष्ट्रीय तथा प्रान्तीय सुरक्षा और जनमानस को प्रभावित कर रहे हैं:- (1) संचार व्यवस्था नष्ट करके, (2) अपहरण और बन्धक बनाकर, (3) सामूहिक नरसंहार करके तथा (4) आत्मघाती हमलों द्वारा। अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद मुख्यतः जेहाद अथवा स्वतंत्रता प्राप्ति के उद्देश्य से प्रतिफलित हुआ है। सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद ने कई अवसरों पर परमाणु युद्ध की आशंका भी उत्पन्न कर दी है। आतंकवाद जहाँ एक ओर लोकतंत्र एवं सम्प्रभुता के लिए खतरा है, वहीं दूसरी ओर शांति, सुरक्षा एवं विकास के लिए भी घातक है।
अब आतंकवाद किसी एक देश की नहीं वरन् सारे विश्व की समस्या है। फिर चाहे अमरीका और जर्मनी जैसे पश्चिमी देश हों, या फिर भारत जैसे विकासशील देश आंतकवाद से सभी जूझ रहे हैं। अगर कोई सरकार वास्तव में आतंक विरोधी नीति बनाना चाहती है, तो उसे अपने कुछ नागरिकों द्वारा अनुभव किये गये अन्यायों और शिकायतों को समझने की दिशा में संसाधन लगाना चाहिए, जिसका इस्तेमाल करके आतंकी समूह असंतुष्ट लोगों को हिंसक विचारधाराओं की ओर आकर्षित करते हैं।
आतंकवादी किसी दूसरे ग्रह से तो नहीं आते। हमारा सतर्कता तंत्र चुस्त होना चाहिए और प्रत्येक नागरिक को भी जागरूक होना होगा। हमारा संकल्प होना चाहिए कि हम आतंक को जड़ से मिटायेगे, अमन की राह मानवता को दिखायेंगे। विश्व स्तर पर कुछ लोक कल्याणकारी संगठन तथा सरकारें आतंकवाद को समाप्त करने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं। वे आतंकवादी विचारधारा से प्रभावित होने के सामाजिक पहलुओं पर गौर कर रहे हैं। ताकि जो लोग आतंकवाद तथा कट्टरपंथ के चंगुल से निकलना चाहते हैं, उनकी मदद की जा सके।
20वीं सदी की शिक्षा ने सारे विश्व में संकुचित राष्ट्रीयता पैदा की थी जिसके दुखदायी परिणाम दो विश्व युद्धों, हिरोशिमा व नाकासाकी का महाविनाश तथा राष्ट्रों के बीच अनेक युद्धों के रूप में सामने आ चुके हैं। प्रतिवर्ष विश्व के 155 देशों का रक्षा बजट बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस पर सभी देशों को मिल-बैठकर विचार करना चाहिए। आतंकवाद तथा पड़ोसी देशों से देश को सुरक्षित करने के लिए शान्ति प्रिय देश भारत को भी अपना रक्षा बजट प्रतिवर्ष बढ़ाना पड़ रहा है। भारत का रक्षा बजट दुनिया में आठवें नम्बर पर है। हम जैसे गरीब देश रक्षा बजट के मामले में जर्मनी आदि देशों से आगे हंै। युद्ध तथा युद्धों की तैयारी में हजारों करोड़ डालर विश्व में प्रतिदिन खर्च हो रहे हैं। शान्ति पर कुछ भी खर्चा नहीं आता है। युद्धों तथा युद्धों की तैयारी से पैसा बचाकर इस पैसे से संसार के प्रत्येक बच्चे के लिए शिक्षा, सुरक्षा, चिकित्सा, रोटी, कपड़ा और मकान की अच्छी व्यवस्था की जा सकती है। साथ ही विश्व के सभी युवाओं के लिए सम्मानजनक रोजगार की व्यवस्था की जा सकती है।
जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी लेने वाले संगठन जैश-ए -मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को चीन ने बार-बार बचा रहा था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के चार स्थायी सदस्यों अमेरिका, रूस, ब्रिटेन तथा फ्रान्स ने मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी करार देने पर सहमति जतायी जब कि चीन ने वीटो लगाकर पहले विरोध दर्ज किया था। चीन ने भारत के खिलाफ इस तरह चैथी बार वीटो पाॅवर का इस्तेमाल किया था। बाद में अंतर्राष्ट्रीय दबाव चलते चीन को मसूद अजहर को आतंकवादी स्वीकार करना पड़ा।
विश्व के महान विचारक विक्टर ह्नयूगो ने कहा है कि ‘‘इस दुनियाँ में जितनी भी सैन्यशक्ति है उससे कहीं अधिक शक्तिशाली वह एक विचार होता है, जिसका कि समय आ गया हो।’’ आज जिस विचार का समय आ गया है वह विचार है भारतीय संस्कृति का आदर्श ‘वसुधैव कु
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